Hindi Quote in Story by Jyotsana Singh

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चित्र प्रतियोगिता के लिए

(नफ़रत की परखनली)


सालों पहले लगी शर्त आज उन दोनो को उम्र के इस पड़ाव में याद आ रही थी।
उसने कहा था।
“सन्तान ईश्वर की देन है।”
पर उसे अपने वैज्ञानिक प्रयोग पर ग़ुरूर था तभी तो वह बोली थी।
“हमने कितनी प्रगति कर ली है ये तुम भी जानते हो हम परखनली शिशु सालों पहले बना चुके हैं।”
साहित्य का वह उपासक बोल उठा था।
“उसकी मर्ज़ी में ही तेरी जीत है।”
और उसने उसे ग़लत साबित करने के लिए अपनी ही औलाद को दुनिया में लाने के लिए विज्ञान का सहारा लिया था।
नव जीवन संचार में प्रेम की जगह घृणित अहंकार ने ले ली।
वह जैसे जन्मा था वैसे ही पला भी था।
पर न जाने क्यूँ आज उन्हें उससे चाहत की आस हो आई।
और वह उससे ठोकर खा एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप करने लगे।
“यह तुम्हारा वैज्ञानिक प्रयोग है ऐसा तो होना ही था।”
“मैंने उसे सब इंजेक्शन दिए थे उसमें कोई कमी नहीं है वह बलवान है बुद्धिमान है। बस हमें अपना ही तो नहीं समझता।”
वह ख़ुद से ही हारता हुआ थोड़ा व्यंग्यात्मक लहज़े से बोला।
“काश तुमने भावनाओं का भी एक इंजेक्शन लगाया होता तो आज वह हमारा ही होता।”
वह दोनो ही हारे हुए एक दूसरे को नफ़रत की परखनली से देखने लगे।

ज्योत्सना सिंह
लखनऊ
10:22pm.
21-9-19

Hindi Story by Jyotsana Singh : 111391170
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