सौंदर्य का पता नहीं श्रृंगार लिखने चला हूँ,
ज़िन्दगी का एतबार नहीं प्यार करने चला हूँ।
माथे पर कुमकुम सजा है हाथों में महेंदी रची है,
फिरभी मैं आशिक इज़हार करने चला हूँ।
अमावस की काली घनघोर अंधियारी रात है,
फिरभी मैं चिराग लेकर कमर देखने चला हूँ।
मुझे पता है तुम नहीं हो तुम कहीं नहीं हो,
फिरभी मैं तसव्वुर में निगार बनाने चला हूँ।
आता नहीं कुछ भी मुझे आपको देख कर,
फिरभी मैं "पागल" शायर बनने चला हूँ।
✍🏼"पागल"✍🏼
सौंदर्य - सुंदरता / खूबसूरती
श्रृंगार - सजावट / शोभा
एतबार - विश्वास / भरोसा
इज़हार - बताना / कहना
चिराग - दीपक / दीया
कमर - चाँद / चन्द्रमा
तसव्वुर - कल्पना / विचार
निगार - तस्वीर / चित्र