दारू पिलाकर वोट माँगे परधान जी,
जाति-पाति का चोट दागे परधान जी,
चुनाव का गहमी गहमा है,
पूरा गांव सहमा सहमा है,
कौन हारेगा, किसका बचेगा सम्मान जी
दारू पिला कर वोट माँगे परधान जी।
हर चौराहे पर पंचायत हो रही,
अच्छे बुरे की शिकायत हो रही,
कौन ईमान,कौन है बेईमान जी,
किसे हराये,किसे बनाये परधान जी;
दारू पिलाकर वोट माँगे परधान जी।
बाभन का बाभन में जाये,
ठाकुराने से मिल न पाये,
अहिराने में प्रत्यासी नही है,
गड़ेरियावा राजी नही हैं,
वोट बैंक का कम्पूटर खोलो,
हरिजन बस्ती में धावा बोलो;
धर्म-जाति का चोट दागे परधान जी
आयी चुनाव लोट मारे परधान जी।
परधान जी की निकली हैं रैली,
बांटे न जाने किस चीज की थैली।
सफेद कुर्ता,जूता संतरी,
परधान जी समझे, ख़ुद को परधान मंत्री,
कुछ लोग ऐसे भी है गाँव के,
रहे पीछे परधान के ताव से,
थकते नही बखान करते परधान के,
मिल जाये, हमें भी ईनाम इस आस में।
मेरा गाँव, स्वर्ग था जो,
बना दिये है शमशान जी,
राजनीति के लुच्चे ये
बड़े हैं हैवान जी,
आयी चुनाव नोट बांटे परधान जी।
दारू पिलाकर वोट माँगे परधान जी।
जाग उठा हैं आदमी आम जी
इस बार हारेंगे परधान जी।