एक तरफा मोहब्बत को हम प्यार समझ बैठे जो कभी अपना था ही नहीं उसको अपना मान बैठे । रात की नींद दिन का चैन सब उसके नाम कर दिया , हमको लगा कि यह इश्क है पर यह आंखों का धोखा था जो बंद आंखों ने कभी देखा था खुली आंखों से टूट गया । अब किसको दोष दे अपनी इस हालत का , जब हमने खुद को ही बाज़ार में उस शक्स के लिए नीलाम कर दिया ।