चमक दिखती सितारों की
जलन किसको नजर आती
जो रोशन जहां को करता हैं
वह भीतर से कितना जलता है ,
नज़रे टिकी हजारों की
क्या ये तड़प समझ पाती,,,,
क्या ये तड़प समझ पाती।
चिंघाड़ती लेहरे समंदर की,
नदियों को हैं भरमाती ,
जो सब को पी कर भरता हैं,
वह अंदर कितना मरता हैं।
ज्यादा कीमत किनारों की,
क्या ये पहाड़ों की बेटी समझ पाती,,,,
क्या ये पहाड़ों की बेटी समझ पाती।
चमक दिखती सितारों की
जलन किसको नजर आती ....,
जलन किसको नजर आती....