Hindi Quote in Thought by Manju Mahima

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हथेलियों में सूरज-

आओ उगा लें ,

हथेलियों में अपनी,

एक नन्हा सूरज,

जो जला सके,

उन लोलुप वासना-रत

निगाहों को,

जो ताकती रहती है,

अबोध अहिल्याओं को.|

कर सके जो भस्म ,       

उन बलात्कारियों को,

जो छिपे हैं आज भी,

सबकी निगाहों से,

और गरज रहे हैं,

शेर बन कर.|

आओ उगा लें ,

हथेलियों में अपनी,

एक नन्हा सूरज,

 जिसकी किरणें समा जाएँ,

कलम में हमारी ,

उधेड़ दे जो बखिए,

सिले हुए राज़ोंं के.|

हो जाएँ जिनसे रोशन,

उनके अँधेरे के गुनाह,

जो पाएं हैं, पनाह सत्ता की.

कर भस्म उनके आशियानों को,

कर दें उन्हें,

भटकने को मज़बूर | .

आओ उगा लें ,

हथेलियों में अपनी,

एक नन्हा सूरज,

कर दें भस्म उन,

तथाकथित नेताओं को,

जो नेता कम पिछलग्गू

अधिक आते हैं नज़र,

जो छिपाएं हैं सफेदी में,

अपने कर्मों की कालिख,

और ढा रहे हैं जनता पर कहर.|

नोटों के नशे में धुत्त,

जिनकी कलम

हस्ताक्षर करने के लिए

तुलती है करोड़ों में.

जिनके कालीन के तले,

बिछे होते हैं,

अरबों-खरबों रुपए.

भविष्य को कर अपने

सुरक्षित,

सो रहे हैं जो बेखबर|

आओ उगा लें ,

हथेलियों में अपनी,

एक नन्हा सूरज,

कर दें भस्म,
तथाकथित नेताओं को,

जो नेता कम पिछलग्गू

अधिक आते हैं नज़र,

जो छिपाएं हैं सफेदी में,

अपने कर्मों की कालिख,

और ढा रहे हैं जनता पर कहर.|

नोटों के नशे में धुत्त,

जिनकी कलम

हस्ताक्षर करने के लिए

तुलती है करोड़ों में.

जिनके कालीन के तले,

बिछे होते हैं,

अरबों-खरबों रुपए.

भविष्य को कर अपने

सुरक्षित,

सो रहे हैं जो बेखबर|

आओ उगा लें ,

हथेलियों में अपनी,

एक नन्हा सूरज,

कर दें भस्म,

उन देशद्रोहियों को,

जो देश में आज भी,

घूम रहे हैं ज़िंदा,

कर रहे आतंकित,

जनता को पहन मुखौटा.|

आओ उगा लें ,

हथेलियों में अपनी,

एक नन्हा सूरज,

जो बनकर आए

एक आशा की किरण

उन हृदयों में

जो आज बुझ चुके हैं,

खो बैठे हैं अपनी आस्था

सत्ता के प्रति  

जो लाए एक स्वर्णिम प्रभात,

उन चंद इंसानों के लिए,

जो आज भी सत्य के साए में  

ईमानदारी और विश्वास को लपेटे

गठरी बने बैठे हैं,

अपने घरौंदे में.| 

नहीं खौफ़ रखना तनिक

अपनी हथेलियाँ जलने का,

यह जलन बहुत कम होगी

‘जीते जी जलने’ से तो

राहत ही मिलेगी तब,

कर सकेंगे जब 

कुछ तो दिशाहीन,

इस भटकते समाज को

रोशनी से रु-बरू करवाकर.|

आओ उगा लें ,

हथेलियों में अपनी,

एक नन्हा सूरज|

---©--मंजु महिमा

Hindi Thought by Manju Mahima : 111267094
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