मैं कौन हूँ?
सृष्टि की उत्पत्ति से आज तक,
बहुतों ने ढूंढा इस प्रश्न का उत्तर,
कुछ पा गए,
और कुछ स्वयं को ही खो दिए पाने की चाह में।
मैं कौन हूँ?
हर जाग्रत मानव के मस्तिष्क का कौतूहल,
धर्म, अध्यात्म, दर्शन और मनोविज्ञान का,
मन और मस्तिष्क का,
चेतन, अचेतन का अघुलनशील मिश्रण।
मैं कौन हूँ?
"अहं ब्रह्मास्मि",
मैं कौन हूँ?
संसार का सबसे सफल प्राणी,
मैं कौन हूँ?
संसार का सबसे सफल व्यक्ति।
मैं कौन हूँ?
अपरिभाषित, अद्वितीय, अनुपम,
क्योंकि ब्रह्म, सफलता, सुख के अर्थ,
बदलते रहे हैं समय के साथ,
हर किसी का अपना मापदंड।
मैं कौन हूँ?
वास्तव में कोई न जान पाया,
क्योंकि आप वो हैं जो जैसे आये थे,
वैसे निर्मल न बन पाए अंतिम सांस तक।
ज्ञान, वैराग्य, कर्म,
युगों की तपस्या,
सब व्यर्थ गयी,
प्रश्न आज भी अनुत्तरित है,
"मैं कौन हूँ?