ये जो जिंदगी की किताब हे,ये कितब भी क्या किताब हे,
कही एक हसीन सा ख्वाब हे,कही किसी को पाने की चाह हे,
कही खो दिया तो कही पालिया,कही रो लिया तो कहिपे गा लिया कही छिन लती हे हर खुशी,तो कही मेहरबां बेहिसब होती हे,ये जो जिंदगी की किताब होती हे,ये किताब भी क्या कितब होती हे