॥ मेरी कोशिश ॥
अगर है जिद है ज़िंदगी को मेरे आँसू बहाने की ।
कसम हमने भी खाई है नमी में मुस्कराने की ॥
तनिक हालात उल्टे हैं तो क्या हम टूट जाएंगे ।
कला हमने भी सीखी है रुदन में गीत गाने की ॥
तुझे लेने हो जितने भी ज़िंदगी इम्तहां ले ले ।
जीत अपनी ही होनी है हार ज़ालिम जमाने की ॥
चुराले फूल खुशियों के बिछादे दर्द राहों में ।
हमें आदत पुरानी है तल्ख कांटो पै जाने की ॥
जला कर खाक कर बेशक मेरे ख्वावों की महफिल को ।
मेरी कोशिश ‘उदय’ होगी वहीं दीपक जलाने की ॥
- उदय