??? गीत ???
नफ़रत, द्वेष, घृणा की ज्वाला में सब कुछ जल जाएगा |
चारों ओर मचा है हाहाकार कौन बच पाएगा ||
कौन यहाँ बच पाएगा,
कोई नहीं बच पाएगा |
कच्ची कलियाँ रौंद रहा है रोको उस हैवान को |
रखवाले बनते हो तो फिर खत्म करो शैतान को ||
बात बहुत बढ-चढ करते थे तुम वो वादे याद करो |
आश्वासन देते थे की तुम हमसे तो फ़रियाद करो ||
सुनलो अब फ़रियाद नहीं तो सिंहासन उड़ जाएगा
चारों ओर मचा है हाहाकार कौन बच पाएगा ||
कौन यहाँ बच पाएगा,
कोई नहीं बच पाएगा ||
अन्धा है धृतराष्ट्र तभी तो दहशत चारों ओर है |
दुर्योधन, दु:शासन का आतंक महा घनघोर है ||
शकुनी को पहचान यही तो कपटी है ये छलिया है |
राजसभा ये है दुष्टों की ये दुष्टों की दुनिया है ||
स्वार्थ, ममता, लालच, माया, मोह में ही लुट जाएगा
चारों ओर मचा है हाहाकार कौन बच पाएगा ||
कौन यहाँ बच पाएगा,
कोई नहीं बच पाएगा |
धर्म के ठेकेदारों पर तुम मत अन्धा विश्वास करो |
मानवता का कत्ल करा दे उनका मत विश्वास करो
बहकावे में मत आओ अब तो सतर्क हो जाओ तुम
काबिल नहीं हैं ये यक़ीन के अब तो आँखें खोलो तुम ||
झूठे, मक्कारों के चक्कर में तू भी फँस जाएगा |चारों ओर मचा है हाहाकार कौन बच पाएगा ||
कौन यहाँ बच पाएगा,
कोई नहीं बच पाएगा |
न्याय यहाँ अन्धा था पहले अब बहरा गूंगा भी है |
धन की छम-छम के आगे झुकता भी है बिकता भी है ||
सबकुछ है व्यवसाय यहाँ पर नैतिकता का पतन हुआ |
धन-वैभव के आगे सारी मानवता का पतन हुआ ||
तार-तार है शील और मर्यादा को छल जाएगा |
चारों ओर मचा है हाहाकार कौन बच पाएगा |
कौन यहाँ बच पाएगा,
कोई नहीं बच पाएगा |