#KAVYOTSAV -2
ग़ज़ल
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तानकर सीना गगन में आज लहराया तिरंगा।
एक अरसे बाद थोड़ी देर मुस्काया तिरंगा।
रोज़ ही सीमाओं पर सुनकर शहादत की कहानी,
है बहुत लाचार, बेबस और मुरझाया तिरंगा।
जब मिली उसको ख़बर हिंसा हुई है देश भर में,
देख कर अपनी ज़मीं पर खून घबराया तिरंगा।
आज पाकिस्तान ज़िन्दाबाद के नारे लगे हैं,
जानकर यह दुखभरा सच ख़ूब गुस्साया तिरंगा।
सात दशकों का हुआ गणतन्त्र, अब भी भुखमरी है,
देश की पूरी व्यवस्था पर तरस खाया तिरंगा।
है प्रदूषित स्वर्ग से आई हुई गंगा नदी भी,
घाट पर गुमसुम खड़ा है घोर दुख पाया तिरंगा।
बालकों की टोलियाँ ध्वज हाथ में लेकर चली जब,
मौज में आ राजपथ पर खुद उतर आया तिरंगा।
--बृज राज किशोर 'राहगीर'
ईशा अपार्टमेंट, रुड़की रोड, मेरठ-250001