#kavyotsav -2
उदासी का नाम नहीं तन्हाई ,तन्हाई में
कलम की स्याही से कोरा कागज़ रंगती हूँ
भावनाओं की लहरें किनारों से टकराती
फिर मन के दरिया में गोता लगाती हूँ
कैसे थामे वक्त को,रेत सा फिसल रहा
यादों का पिटारा,दिल में खोलती हूँ
मनमाफिक कैसे जिये, समय तो भाग रहा
गुजरा बचपन- यौवन यादों में जी लेती हूँ
तन्हाई नही है सिर्फ अकेले रोने का नाम
मन की कागज़-कलम से दोस्ती कराती हूँ
तन्हाई,कागज-कलम बखूबी रिश्ता निभाते
भावनाओं को अल्फ़ाज देकर नवाजती हूँ