#kavyotsav2 #प्रेम
यूँ दिल में शाम उतर रही
दिवानगी दिल में हो रही
जूँ दिल में बढ़ रही दिवानगी
तो मदहोशी में बेहोशी हो रही
आफ़ताब ढल रहा दर्या में
जमीं पे धरा सिंदूरी हो रही
लगी बिखरने साँझ में आभा
बिदाई आफ़ताब की हो रही
झरने लगे है फलक मे मोती
अगवानी माहताब की हो रही
चुनर ओढ़े गगन शरमा रहा तो
रौशनी झिलमिल तारों से हो रही
वहाँ महकते बादल हो रहे रोशन
यहाँ इश्क की अदावत हो रही
शमा महफ़िल में जल रही तो
इश्क में मोहब्बत परवान हो रही