मेरी लिखी गई कुछ पंक्तियां आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में - -
भूल जाते है हम कि हमे बोलने का अधिकार नही,
भूल जाते हैहम कि हमे रोने का अधिकार नही,
भूल जाते है हम कि हमे स्वतंत्र विचार रखने का अधिकार नही,
भूल जाते है हम कि हमे कुछ कहने का अधिकार नही,
भूल जाते है हम कि हमे इस अद्भुत दुनिया मे घूमने का अधिकार नही,
भूल जाते है हम कि हमे पढ़ने का अधिकार नही,
भूल जाते है हम कि हमे अपनी रुचियों का अधिकार नही,
भूल जाते है हम कि हम नारी हैं जिसे पुरूषों की इस दुनिया मे जीने का ही अधिकार नही,
- पूर्णिमा 'राज'