Quotes by पूर्णिमा राज in Bitesapp read free

पूर्णिमा राज

पूर्णिमा राज Matrubharti Verified

@poornimaraj5350
(74)

इंतजार ...
एक शब्द में प्यार और दर्द दोनों है !!

feeling happy ??
thank you matrubharti

congratulations to all winers

#काव्योत्सव२
नारी

सौम्य, कोमल सहृदय है नारी, 
देवतुल्य पूजनीय. है नारी, 
कुटुंब की गरिमा है नारी, 
पुरुष प्रधान समाज में है बेचारी |

काली, दुर्गा, चंडी का रूप है नारी, 
खोखले समाज की रीढ़ है नारी, 
एक नारी है सब पर भारी ,
फिर भी दबायी जाती है नारी |

अत्यंत दयनीय स्थिति में है नारी, 
जन्म देने वाली है नारी ,
पालकर बड़ा करने वाली है नारी, 
फिर भी जन्म से वंचित है नारी |

बचपन से ही सिसकती है नारी, 
हसने, खेलने, घूमने पर है पाबन्दी भरी ,
छीन ली जाती है आज़ादी सारी, 
छोटी सोच का शिकार है नारी |

शादी के लिए लगती है बोली, 
अपनी कीमत खुद ही चुकाती है नारी, 
बेचकर वह अपने अस्तित्व को ,
जीवित ही चिता जला लेती है नारी |

बलिदान की. मूर्ति है नारी, 
सहनशक्ति की मिसाल है नारी,
हज़ारो जुल्म. सहकर भी ,
हसती और हसाती है नारी |

बदलाव की चिंगारी है नारी, 
परिवर्तन का स्तम्भ है नारी, 
ठान ले अगर वह ,
कुछ भी कर सकती है नारी |

                                                    -पूर्णिमा राज

Read More

हाहा‌ किसी को याद है बचपन की प्यारी कविताओं में से एक चांद का कुर्ता

#काव्योत्सव#भावनाप्रधान

नारी
उमंग है,
कोमल तरंग है,
जीवन का नवरंग है,
विचार है , बहार है,
श्रृष्टि का सुंदरतम श्रृंगार है,
संस्कार है, पहरदार है,
आदि है, अनंत है,
पर इच्छाओं से,
परतंत्र है,
नारी …

 

 

-पूर्णिमा 'राज'

Read More

#काव्योत्सव
#भावनाप्रधान
------ -------- ------

माँ


चढ़ती धूप में छाँव सी हो ,
अँधेरे में उजाले के भाव सी हो,

आँचल तले हमको सांवरा है,
हमारा हर दुःख तुम्हे ना गवारा है,

कभी छाँव तो कभी धूप सी हो,
कभी पहार तो कभी सूप सी हो,

अपने बलिदान से हमको तराशा है,
हमारी खुशी का एक तू ही आसरा है,

तू ही हमारी पहली गुरु है,
हमारी जिंदगी तुमसे ही शुरू है,

काटों भरे जीवन में तू फूल सी है,
हर मुसीबत के लिए तू शूल सी है,

बच्चो के लिए माँ एक उपहार है,
तेरी खुशी ही हमारे लिए त्यौहार है,

तुम्हारी हर इच्छा का मान हमारा कर्त्तव्य है,
माँ , तू ही हमारे लिए सर्वस्व है,

तुम हमारे लिए भगवान हो ,
हम तुम्हारी और तुम हमारी जान हो ,

तेरे उपकारों का बदला हम कभी चुका ना पाएंगे,
बस तेरे सामने अपने हाथ जोड़कर झुक जायेगे |


-पूर्णिमा 'राज'

Read More

काव्योत्सव २

मेरी बेटी मेरा अभिमान है।----


अधरों की मुस्कान है,
दिल के टुकड़े का नाम है,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।

कभी नदी सी चंचल ,कभी सागर सी गहरी है ,
कभी मेरी बेटी,कभी मेरी माँ बन जाती है ,
कभी बच्चो सी ज़िद्दी ,कभी बड़ो सा डाटती है ,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।

कभी नटखट सी शैतानिया है ,कभी गहरी बातें है उसमे,
कभी कितनी नासमझ ,कभी समझदार है ,
कभी छोटे से दर्द में चिल्लाती है, कभी बड़े घाव भी सह जाती है ,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।

कभी मुझसे खाना खाती थी,अब मुझे खुद खिलाती है,
कभी मेरी गोद में सोती थी,अब मुझे सहलाकर सुलाती है ,
कभी मेरी छोटी गुड़िया थी,अब उसकी भी एक गुड़िया है ,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।

अधरों की मुस्कान है,
दिल के टुकड़े का नाम है,
मेरी बेटी मेरा अभिमान है।
मेरी बेटी मेरे घर की शान है ।।

Read More

मेरी लिखी गई कुछ पंक्तियां आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में - -


भूल जाते है हम कि हमे बोलने का अधिकार नही,

भूल जाते हैहम कि हमे रोने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे स्वतंत्र विचार रखने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे कुछ कहने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे इस अद्भुत दुनिया मे घूमने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे पढ़ने का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हमे अपनी रुचियों का अधिकार नही,

भूल जाते है हम कि हम नारी हैं जिसे पुरूषों की इस दुनिया मे जीने का ही अधिकार नही,



- पूर्णिमा 'राज'

Read More