? सुहानी शाम ?
तुम बिन सूनी है मेरे
जीवन की शाम सुहानी ।
तुम आओ तो शुरू करें
हम इक नई कहानी ।
कब तक मैं तन्हां चलूँ
जीवन की कठिन डगर पर ।
मन्ज़िल का कुछ पता नहीं
निकला पड़ा हूँ सफ़र पर ।
अब तो सुनलो मन की बातें
करो न आना कानी ।
तुम आओ तो शुरू करें
हम इक नई कहानी ।
जीवन के सब रंग बिरंगे
ख़्वाब अधूरे हैं मेरे
बिन तुम्हारे मुमकिन नहीं
होंगे कभी ये पूरे ।
कुछ तो समझो कुछ तो जानो
छोड़ो ये नादानी ।
तुम आओ तो शरू करें
हम एक नई कहानी ।
चला नहीं जाता है मुझसे
इन पथरीली राहों पर ।
तुम चलो तो फूल बिछायें
ऋतुयें भी इन राहों पर ।
राजा भी रंक सा होता है
हो न जब तक रानी ।
तुम आओ तो शुरू करें
हम इक नहीं कहानी ।
नहीं रास आता है मुझको
जीवन का ये सफ़र ।
हो न जब तक साथ में मेरे
मेरा 'हमसफ़र ' ।
कब पहुँचेगी तेरे दिल तक
मेरे दिल की बानी ।
तुम आओ तो शुरू करें
हम इक नहीं कहानी ।
तुम बिन सुनी है मेरी
जीवन की शाम सुहानी ।
तुम आओ तो .............।
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-- सुरेन्द्र सिंह राजपूत 'हमसफ़र'
देवास मध्यप्रदेश