#MoralStories - संबंध"
"संबंध का परिभाषा ढ़ूँढ़ते-ढ़ूँढ़ते आज कहाँ खोती जा रही हूँ? क्या कुछ पैसे ही संबंध का मूल आधार है या भावनाओं का कद्र; प्यार का समर्पण; शरीर का सुख; रक्त-संबंध और मन के मोह का कोई महत्व नहीं"? - उधेर-बुन में खोयी रागिनी मिर्च में मसाले भरे जा रही थी|
वर्तमान स्थिति और भूतकाल के कड़वे अहसासों के अचार में जब खटाई का कसैला स्वाद चढ़ा तो अनुभूति हुआ हरेक कष्ट का काट है| और फैसला कर ली अब "नीम पे करेला" चढ़ा कर रहेगी| ससुराल में अब जो जैसा व्यावहार करेगा उसके साथ अब वैसा ही सलूक किया करेगी....... पर अब किसी का अनावश्यक कथन सहन न करेगी|
©-राजन-सिंह