A breakup letter
#अब_लौट_ना_आना_तुम
प्यार तो बहुत था तुमसे लेकिन अधूरा रह ही गया। मेरा वो अहं भी टूट गया, जो तुम्हारे होने से था। ना जाने, किसकी गलती थी! मेरी, तुम्हारी या फिर हम दोनों की? अगर चाहते तो रिश्ता और अधिक खूबसूरत हो सकता था, लेकिन...खैर, अब इन बातों का कोई मतलब भी तो नही। आखिर, सच तो यही है कि हम दोनों अलग है, एक-दूसरे की बातों से, एक-दूसरे की जिंदगी से। और यादों का वो रिश्ता, जो हर पल साथ रहता था, अब तो वो भी टूटने लगा है, ठीक वैसे ही जैसे हमारी बातों के सिलसिलों का नाता टूटने लगा था धीरे-धीरे, जैसे, तुम दूर होने लगे थे मुझसे।
तूफ़ान आने पर पत्तों की सरसराहट भी बढ़ जाती है लेकिन तुम्हारे चले जाने का तूफान तो जैसे दबे पाँव आया था। ना कोई हलचल थी, न कोई उत्पात। हाँ, रोकना तो चाहती थी तुम्हें लेकिन इस सच को कैसे झुठला पाती कि अब, मैं तुम्हारे लिए वो नही हूँ, जो कभी हुआ करती थी। तुम्हारी बातों की, मैं वो हिस्सेदार भी नही। दर्द में, जो नाम तुम्हें याद आता था, वो नाम अब मेरा नही। तुम्हारी जिंदगी की बाकी सभी बातों में, 'मैं' ही कहीं खो गयी थी। इसलिए, तुम्हें रोकने का अब न कोई मतलब था, न इच्छा। तुम्हारी जिंदगी में, मेरी मौजूदगी शायद किसी काँटे जैसी हो गयी थी और तुम्हारा व्यवहार, मेरे लिए हर पल की घुटन। इसलिए ठीक ही है अब, हमारा साथ न होना ही ठीक है अब। मैं, जो पागल थी तुम्हारे लिए, अब जीना सीख चुकी हूँ।
वो रातें, जो तुम्हारे साथ जाग कर बिता दिया करती थी, अब उन पर सिर्फ मेरा हक़ है। सुबह का वो पहला पल, जो तुम्हारे नाम लिखा करती थी, अब अपने नाम लिखा करती हूँ। दिन की सारी घड़ियाँ भी अब मेरी हैं और तुम्हारे ना होने पर, रात की वो बैचेनी भी, मेरे होने के सुकून से भर जाती है। इसलिए, अब लौट कर मत आना। ना कल, ना कभी। क्योंकि, तुम्हारी नामौजूदगी को, मैं अपनी मौजूदगी से भर चुकी हूँ। तुम्हारी फ़िक्र को, अब अपनी फ़िक्र बना चुकी हूँ। बस, इसलिए, अब लौट ना आना तुम।