खून सनी वर्दी
©अंजुलिका चावला
कैसे कहूँ यादों को सँजोना नहीं है
कसम दे गए थे कि मुझे रोना नहीं है
तेरी मोहब्बत के समंदर में मैं डूबती गई
अजब शर्त थी पलकों को भिगोना नहीं है
दुनिया के बीहड़ रास्ते में तुम तन्हा कर गए
ज़िन्दगी में बचे शूल नरम बिछोना नहीं है
बिखरती हूँ संभलती हूँ फिर टूटती हूँ मैं
ये जिस्म तेरी अमानत है खिलौना नही है
तरी शहादत पर मुझे गर्व बहुत है
तुझसा महान देश में कोई होना नहीं है
सैनिक की बेवा में भी लोग सैनिक तलाशते
कसम वतन की तेरा नाममैंने डुबोना नहीं है
तेरे खतों को पढ़ पढ़कर मेरी आँख नम हुई
अश्क गिरा है तस्वीर पर कोई डिठौना नहीं है
तेरे लहू के कतरे और खुशबू जिस्म की
तय किया है ताउम्र वर्दी को धोना नहीं है