वो जिंदगी भी क्या जिंदगी है, जिसमें सपने नही और इस बात को बेहतरीन तरीके से प्रदर्शित करती मूवी है, #निल_बट्टे_सन्नाटा ।
अपनी वर्तमान स्थिति को अपनी जिंदगी मान लेना और मेहनत करने की बजाय किस्मत को दोष देना, यह तो खुद के साथ नाइंसाफी है न.... लेकिन #अप्पू उर्फ़ #अपेक्षा इसी बात को सच मान बैठी है और यही लकीर पीटती है कि, डॉक्टर का बेटा डॉक्टर, इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बनता है इसलिए एक बाई की बेटी होने के कारण वो भी बाई ही बनेगी। अप्पू के मुँह से यह सुनना #चंदा (अपेक्षा की माँ) के लिए अचानक हुए वार से कम न था लेकिन असहाय हो जाना भी तो चंदा को मंजूर न था......
और इस तरह शुरू होती है एक कोशिश। ऐसी कोशिश जो सपने को जिंदगी बनाने पर जोर देती है। ऐसी कोशिश जिसमें किस्मत जैसे किसी शब्द का कोई अस्तित्व नही। और एक ऐसी कोशिश भी, जिसमें गिरने का डर नही है लेकिन बिना मेहनत बिखरने का डर है....
बेहद बेहतरीन फिल्म। एक माँ और बेटी के रिश्ते को दर्शाती फिल्म। बेटी के सपनो के पीछे माँ का खुद को भुला देना का सच दिखाती फिल्म और सपनों की अहमियत समझाती फ़िल्म.....एक सम्पूर्ण फिल्म