कुदरत से मीलती रही शक्ति
जगत माता को माना है मां
हमेशा साथ मिलता रहा नेक बंदों का
बीना गलती के भी सुना बहोत
खुद में कमीयां ढुंढ निकालती रही बाहर
हंमेशा हर पल नाम रहा होंठों पर रब का
हर पल हर वक्त ख्याल रखा न हो सीर नीचा अपना और अपनो का
पर क्या पता जुठ की मोह माया में फसे को नेक दिल न दिखे
बीना समजे न बढ पाउ आगे सबकी सुन अपनी दौडाउ जो सही लगे उसकी हो जाऊं
पता चले थोडा बहोत कौन कैसा पहली नजर मे पहेचान जाऊं
कभी पुर्वाभास हो जाए तो कभी बर्ताव से पहचान जाऊं
अब कभी दुर से प्रश्न करे उसके उत्तर भी दे पाऊं
बहोत सीखा समजा जब कभी भी कुछ गलत करने जाऊं उनसे पहले रोके क्युकि केह जो रखा है रब से गलती न हो पाए मुझसे
अब तो रब भी आते बाते करते कुछ अजीब सा बर्ताव लगे पर चले जाए तब लगे ये रब ही तो थे |
हर वो नेक दिल को रब दिखे जो भोले है, नेक राह पर चले है |...ॐD