मैं और मेरे अह्सास
नारी का सफ़र
नारी का सफ़र जन्म से लेकर मृत्यु तक कठिन होता हैं l
हर दिन हर लम्हा नयी चुनौतियों लेकर रोड़े बोता हैं ll
जिस परिवार के सपनों के पौधों को सिंचती है वहीं l
अपनों के हाथों से ही उसका चैन और सुकून छिनता हैं ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह