मैं और मेरे अह्सास
अजनबी से मुलाकात क्या हुई जी की जंजाल हुई l
दो नजरों की इनायत क्या हुई जी की जंजाल हुई ll
गम नहीं दिल लुटा ग़म ये है सारी उम्र का रोग पाला l
मुहब्बत में बगावत क्या हुई जी की जंजाल हुई ll
रात दिन सोते जागते बस सखी ही नज़र आये तो l
खुदा से पहेले इबादत क्या हुई जी की जंजाल हुई ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह