मै तलाश रहा हूँ, एक "चरित्रहीन" औरत !!
पर मै हैरान हूं...वो मुझे आज तक मिली नही,
ऐसा भी नहीं है कि,
मैने उसे सही से तलाशा नही,
मै गया था...
मै उन तमाम औरतों के पास भी गया,
जो देह को लेकर बाजार सजाती थी,
जो क्लबो मे अर्धनग्न हो नाचती गाती थी,
जो रोज वासना के नये नये किरदार निभाती थी,
पति से आंखे चुरा गैर मर्द की बाहों मे प्रेम ढूढंती थी,
मैने वो तमाम औरते देखी !!
पर मै हैरान था,
उनमें कही भी वो चरित्रहीन औरत नही थी,
पर वहां हर औरत के पीछे....
एक पुरुष जरूर छिपा था
कायर, कामुक, वासना की कीचड में,
सर से पांव तक सना..!!
शायद यही था...."वो",
जिसने सबसे पहले
औरत को "चरित्रहीन" कहा !!
क्योकि अकेले औरत ही चरित्रहीन नही होती।