संस्कारेण समत्वेन सत्येन शिक्षणेन च।
समर्पणेन भावेन हरिमाप्नोति मानव: ।।
अर्थात संस्कार से,समत्व बुद्धि से, सत्याचरण से, शिक्षण से, समर्पण भाव से मनुष्य ईश्वर को प्राप्त कर
सकता है।
मनुष्य इन पांच संस्कारो से परमात्मा को प्राप्त कर सकता है। लेकिन मनुष्य ईश्वर को देवालय (मंदिर), मस्जिद, काबा तथा कैलाश में ढूंढता फिरता है।
डॉ भैरवसिंह राओल