कार्य की मृत्यु या श्रम की मृत्यु यह वाक्यांश जीवित प्राणियों के लिए डराने वाला है।
श्रम के ह्रदयस्पर्शी चित्र को देखकर मनुष्य मोहित हो जाते हैं। लेकिन विनाश और पतन की मूर्तियां उन्हें उदास करती है। इसलिए श्रम स्मृति का श्रेय जीवन को जाता है।
-Chandrakant Pawar