आज सम्राट अशोक का जन्माष्टमी है।आज से ठीक 2325 वर्ष पहले यानी 304 ई0पू में जन्म हुआ था। आज के दिन बिहार सरकार में राजकीय अवकाश है।
अलग-अलग जयन्ती पर कार्यक्रम आयोजित होते हैं,परन्तु कोरोना नहीं भी था तब भी पिछले किसी वर्ष में कोई आयोजन जिला/प्रमंडल स्तर पर नही हुआ है।मैंने आज के सभी अखबार पढ़े पर किसी में अवसर विशेष पर दी जाने वाली शुभकामना भी नहीं। हमारे भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक महान के सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ के चार सिंह ही हैं।
आज मैंने दिनभर की ऐतिहासिक किताबें,सीरियल,शार्ट फिल्म देख कर कई जानकारियाँ प्राप्त की। जिसे एकदम संक्षेप में बता रहा हूँ-
सम्राट चन्द्रगुप्त का पौत्र,बिन्दुसार का पुत्र सम्राट अशोक परमार क्षत्रिय के मौर्यवंश के शासक थे।इनका महात्मा बुद्ध के कुल से जुड़ाव के कारण ही उनके चिता भस्म का भाग मौर्य वंशीय क्षत्रियों को मिला था। चन्द्रगुप्त के पिता कपिलवस्तु के निकट पिप्ली वन(कानन)के राजा थे जिन्हें छल से मारकर धनानन्द ने हत्या कर दी थी और उनकी मां मुरा को बंदी बना लिया था।बालक चन्द्रगुप्त को सम्राट चन्द्रगुप्त बनाने वाला आचार्य चाणक्य ही अशोक को सम्राट अशोक बनाया। जिसतरह अपनी मां मुरा को बंदी बनाने वाले धनानन्द को मारकर चन्द्रगुप्त मगध का शासक बना, ठीक उसी प्रकार अपनी साध्वी मां धर्मा को मगध की महारानी और स्वयं को मगध का महान शासक बनाकर अशोक महान बना।
मौर्यवंश का राज चिन्ह" मोर पक्षी" है जो आज भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। अशोक ने 272ई पू से 232 ई पू तक न केवल शासन किया बल्कि सम्पूर्ण जम्बूद्वीप तक राज्य क्षेत्र विस्तार था।
(अभी इस पोस्ट में इतना ही, परन्तु आज जितना पढा, उससे कई पृष्ठ भर जाएंगे)