और एक बात मेरी और से सभी को वेलकम, मेरी शायरी सीर्फ शायरी नही जज्बात भी है, बीचार भी, अपवादो को छोडके, यारो का यार हुं ,जीसे अच्छा लगे दोष्त वेलकम करता हुं।। वेसे कइ दोष्त है मेरे ,कोई करीब कोई दुर, कोई खास कोइ जनरल, ये उनपर निर्भर है कोई जीतनी एहमीयत देता है,कितना करीब कीतना दुर।।
-hemant pandya