३.ग़म होता है ।।।
कह दो चिरागों को
जला ना करें आहिस्ता से
हमें उसके जलने का
जरा जरा गम होता है ।
वो चाहे मेरे लिए जलें
या रौशन जमाने को करने
उसकी तड़प से कभी कभी
जरा जरा गम होता है ।।
कह दो चिरागों को
जला ना करें आहिस्ता से
हमें उसके जलने का
जरा जरा गम होता है ।
शाम की अब परवाह ही क्या
रात गुजर ही जाती है
अंधेरे की खातिर जलने से
जरा जरा गम होता है ।।
कह दो चिरागों को
जला ना करें आहिस्ता से
हमें उसके जलने का
जरा जरा गम होता है ।
चुपचाप सितम को सहने की
उसकी जो ये आदत है
आहिस्ता जल जल कर भी
वो मुझको जलाता रहता है ।।
कह दो चिरागों को
जला ना करें आहिस्ता से
हमें उसके जलने का
जरा जरा गम होता है ।
सप्रेम: Arjuna Bunty