ओ मेरे मन की अधूरी इच्छाओं,
तुम कभी खत्म क्यूं नहीं हो पाती हो?
एक को पूरा करूं तो किसी नये रूप में
तुम फिर से नजर आ जाती हो।
कभी तो ले जाती हो गहरे सागर में,
कभी आसमां की सैर कराती हो।
कभी बन जाती सपनों का आशियाना,
कभी गाड़ी की चाहत में नजर आती हो।
हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक, तुम
प्रतिपल अपना रूप बदलती जाती हो।