वक़्त...
वक्त के साथ ना ढल सका
मै खुद को ना बदल सका
साथ कभी था जो काफ़िला
कब का आगे निकल चुका
मतलब की बांसुरी यँहा मीठे स्वर मे बजे
वर्ना कोई चादर भी रब के दरपे ना चढ़े
मांगने का तरीका रब से
फरमाईश मे बदल चुका
साथ कभी था जो काफ़िला
कब का आगे निकल चुका
हर गली हर नुक्कड़ पर मिलने लगे है झुटे
वादों कस्मो की आबरू सहूलियत से लुटे
वचन को निभाने वाला
समशान मे जल चुका
साथ कभी था जो काफ़िला
कब का आगे निकल चुका
वक्त के साथ ना ढल सका
मै खुद को ना बदल सका
Sagar...✍️
fallow me...💝