*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*माघ, फागुन, संन्यास, फगुनाहट, प्रस्थान*
*माघ* माह में शीत ऋतु, छोड़ चली घर द्वार।
फागुन बाँह पसार कर, करता है सत्कार।।
*फागुन* द्वारे पर खड़ा, लेकर रंग गुलाल।
कब निकलेगें साँवरे, नित राधा बेहाल।
विरहन ने *संन्यास* को, लिख-लिख पाती-भेज।
गुजर गया फिर साल भी, प्रियतम सूनी सेज।।
*फगुनाहट* मन में बसी, होली अब भी दूर।
तन बेचारा क्या करे, मन तो है मजबूर।।
चौथापन *प्रस्थान* का, नित-नित देखे राह।
मंदिर-मंदिर भटकता, प्रभु दर्शन की चाह।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*