*मस्जिद पे गिरता है*
*मंदिर पे भी बरसता है*
*ए बादल बता तेरा*
*मजहब कौनसा है?*
*इमाम की तू प्यास बुझाए*
*पुजारी की भी तृष्णा मिटाए*
*ए पानी बता तेरा*
*मजहब कौन सा है?*
*मज़ारों की शान बढाता है*
*मूर्तियों को भी सजाता है*
*ए फूल बता तेरा*
*मजहब कौनसा है?*
*सारे जहाँ को रोशन करता है*
*सृष्टी को उजाला देता है*
*ए सूरज बता तेरा*
*मजहब कौनसा है?*
*मुस्लिम तूझ पे कब्र बनाता है*
*हिंदू आखिर तूझ में ही*
*विलीन होता है*
*ए मिट्टी बता तेरा*
*मजहब कौनसा है?*
*खुदा भी तू है*
*ईश्वर भी तू*
*पर आज बता ही दे*
*ए परवरदिगार..*
*आपका मजहब कौनसा है?*
_*सोचकर यही मंदिर*
*मस्जिद भी दंग है*_
_*कि....*_
_*हमें ख़बर भी नहीं*
*और हमारी जंग है*_
*ऐ दोस्त मजहब से दूर हटकर,*
*इंसान बनो*
*क्योंकि इंसानियत का*
*कोई मजहब नहीं होता*...