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Dharmendra

Dharmendra

@yes745803


💧✨ “पानी की बूंदें” ✨💧

नन्हीं-नन्हीं मोतियों सी,
टपक रही हैं छत की कोनों से,
जैसे धरती को चूमने आई हों,
आकाश के अमृत भरे सपनों से। 🌧️🌿

बूंदें गिरतीं मिट्टी पर,
सुगंध हवाओं में भर जाती,
हर कण में जीवन बोती हैं,
प्रकृति मुस्कान लुटाती। 🌱💦

नन्हीं बूंदें मिलकर बन जातीं,
सागर, झील और दरिया,
सिखा जातीं हमें कि संगठित होकर,
हर मुश्किल से लड़ सकता है जगरिया। 🌊🌍

हर बूंद में छिपा है जीवन,
हर बूंद है उपहार,
संभालो इनको दिल से तुम,
यही है प्रकृति का आधार। 🌏💧

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🌿 वृक्ष जीवन के रक्षक 🌿

वृक्ष हैं धरती का गहना,
इनसे सजा है जीवन रेहना।
छांव, शीतल जल की माया,
इनके बिना जग सूना पाया।

पंछी गाते डालों पर,
फल-फूल झरते ऋतुओं के स्वर।
सांस-सांस में प्राण ये भरते,
मानव जीवन को संवरते।

आंधी-पवन को झेल ये पाते,
धरती माँ का श्रृंगार कहलाते।
नदी-नाले इनसे बहते,
वन्य जीव इनसे ही रहते।

ओ मानव! मत इनको काटो,
इनसे जीवन का दीप जलाओ।
वृक्ष बचेंगे तो जग बचेगा,
हर आंगन फिर से हरा-भरा खिलेगा।


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“वृक्ष केवल पेड़ नहीं, जीवन के प्रहरी हैं।”
“जो इन्हें बचाएगा, वही आने वाली पीढ़ियों को बचाएगा।”
“हरा-भरा वृक्ष ही असली दौलत है, सोना-चांदी नहीं।”
“आओ मिलकर प्रण लें – हर वर्ष एक वृक्ष अवश्य लगाएंगे।”

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✨ “ज्ञान ही उजियारा है” ✨

अंधकार सब मिटे यहाँ, शिक्षा का दीप जलाओ,
हर गली, हर गाँव में, उजियारा अब फैलाओ।
माता-पिता का धर्म यही, संतान को पढ़ाना,
ज्ञान से बढ़कर धन नहीं, ये मंत्र सभी को गाना।

बच्चे हैं भविष्य हमारे, इनको मत रोको भाई,
पढ़ाई संग खेलकूद हो, खुशियाँ हर पल समाई।
मनोरंजन संग सीख मिले, जीवन हो साकार,
हर बच्चा पंख लगाकर, पहुँचे नभ के पार।

कभी न छूटे शिक्षा से, कोई भी बालक प्यारा,
पुस्तक, खेल, विज्ञान से, सजता है संसार सारा।
मिल-जुल कर सब साथ दें, शिक्षा का व्रत निभाएँ,
घर-घर दीप जलाकर हम, नयी दिशा दिखाएँ।

सपनों के पंख लगाकर, हर बालक ऊँचा उड़े,
न कोई हो अंधकार अब, उजियारा सबमें चढ़े।
शिक्षा से ही समता होगी, शिक्षा से ही बल है,
यही सच्चा स्वर्णिम पथ है, यही सच्चा संबल है।
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Writer-
Dharmendra Kumar

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🌾 धान – जीवन का अनमोल दान 🌾

धान है धरती का सुनहरा ताज,
जीवन का आधार, किसान का राज।
जल की धारा में पलता है प्यारा,
सबको अन्न दे, बनता सहारा।

पूर्व की हवाओं में गुनगुनाता,
पश्चिम के खेतों में झूमता जाता।
उत्तर की मिट्टी से जुड़ा इतिहास,
दक्षिण में गाता हरियाली का राग।

धान है भूख का सबसे बड़ा इलाज,
हर थाली में देता अमन का साज़।
पसीने की बूंदों से पाता रूप,
दुनिया को देता है जीवन का स्वरूप।

धान में बसी सभ्यता की पहचान,
हर दाने में है श्रम का सम्मान।
सोने से भी बढ़कर इसका मान,
धान ही है भारत की सच्ची जान।
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Writer-
Dharmendra Kumar

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🌾 धान का पहला फूल 🌾

खेतों में आई, पहली खुशबू,
धरती हँसी, जैसे कोई नव रूप।
सपनों में सोना, चमका अनमोल,
आया है धान का, पहला सा फूल।

माँ की दुआ, पसीने का रंग,
मेहनत से खिलते, जीवन के संग।
चाँद भी देखे, झुककर यह भूल,
आया है धान का, पहला सा फूल।

गाँव के आँगन, गूँजे पुकार,
"भर देंगे कोठी, अबकी इस बार।"
मिट्टी में छुपा, आशा का मूल,
आया है धान का, पहला सा फूल।

अन्नदाता की आँखों में नूर,
सच्चे सुख का यही दस्तूर।
धरती के कण-कण में रस घुल,
आया है धान का, पहला सा फूल।

Writer -
Dharmendra Kumar

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🌏✨ "मानव गाथा – युगों का आह्वान" ✨🌏

हे मानव! तू धरा का गहना, 🌸
ज्ञान-विवेक का अनुपम रत्न है रहना।

अग्नि जलाई, नभ को छुआ, 🚀
धरती पर तूने इतिहास लिखा।

नदियों के संग तूने गीत गाए, 🌊
वनों की छाँव में सपने सजाए।

पर जब तूने लोभ का जाल बुना,
धरती का आँचल आँसू से भरा।

जाग उठ, सुन प्रकृति की पुकार, 🌿
करुणा से ही बनेगा संसार।

प्रेम ही तेरा सच्चा धर्म है, ❤️
भाईचारा ही अमर कर्म है।

अंधियारे में दीपक तू जलाना, 🕯️
भटकों को सच्ची राह दिखाना।

विनाश नहीं, सृजन की राह चुन,
विश्व को परिवार मान हर जन। 🌍

तेरे ही हाथों है भविष्य का मान,
हे मानव! बन धरती का अभिमान। 🇮🇳
........
Writer -
Dharmendra Kumar

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"झिलमिल सितारों का आंगन"

झिलमिल सितारों का आंगन होगा,
चाँद की चाँदनी संग बिखरा सोना होगा। 🌙✨

हवाओं में खुशबू और गीत होंगे,
फूलों की पंखुड़ियों पर सोने के मीत होंगे। 🌸🎶

नदियों की सरगम में संगीत की लहर,
और हर दिल में स्नेह की अमर पहर। 💖

रात की चादर पर सपनों की रौशनी,
हर कोने में उजाले की सौम्य गूँज होगी। 🌠

पक्षियों की चहक और बहारों की साज़,
हर धड़कन में बस खुशी का राज। 🕊️🌿

सितारों की बारात में, चाँद का मेहमान,
आंगन महकेगा जैसे हर दिन नवजीवन का ज्ञान। ✨🌌

जहाँ कोई ग़म न होगा, केवल हँसी का बसेरा,
झिलमिल सितारों का आंगन, सच्चे सुख का सेंरा। 💫

हर कदम पर प्रेम की मिठास,
हर साँस में भरोसे की आस। 💞
और हर रात हो जैसे स्वर्ग का जश्न,
जहाँ मन और आत्मा दोनों पाएँ विश्राम और प्रसन्न। 🌙🌸
Writer....
Dharmendra Kumar

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🌺 “हे मातृभूमि, तुझे प्रणाम” 🌺

हे मातृभूमि, तुझे प्रणाम,
तेरी माटी मेरा अभिराम।
तेरे आँगन की हरियाली,
मेरे जीवन की खुशहाली। 🌿

तेरे कण-कण में शक्ति बसी,
तेरे चरणों में मेरी हंसी।
तेरी गोद है सबसे महान,
तुझसे ही है मेरा सम्मान। 🌏✨

जब तक जीवन का है साथ,
तेरी रक्षा मेरा धर्म-पथ।
हे भारत माँ, तेरा नाम,
दिल से करता हूँ प्रणाम। 🇮🇳❤️
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Writer-
Dharmendra Kumar

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"मातृभूमि की सुंदरता"

हरी-भरी वादियाँ, नदियों का संगीत,
हरियाली में छुपा है प्रकृति का प्रीत।
मिट्टी की खुशबू, बूँदों का श्रृंगार,
धरती हमारी है सबसे सुंदर उपहार। 🌿

सूरज की किरणें जब खेतों पर बिखरतीं,
धान की बालियाँ सुनहरी मुस्करातीं।
फूलों की खुशबू, पंछियों के गीत,
मातृभूमि में मिलता हर पल नवीन। 🌺

पहाड़ों की ऊँचाई, सागर की गहराई,
हर कोने में बसी है सच्चाई।
यह भूमि नहीं, माँ का आँचल है प्यारा,
इससे ही जीवन है, इससे ही सहारा। 🌏❤️
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Writer_
Dharmendra Kumar

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🌧️ टिप-टिप बरसा पानी ☔

टिप-टिप बरसा पानी,
धरती ने ली अंगड़ाई।
हरियाली का जादू बिखरा,
मुस्काई क्यारी-क्यारी।

गगन से झर-झर मोती गिरे,
नदियाँ गुनगुनाने लगीं।
फूलों ने खोला रंगों का खज़ाना,
कली मुस्कुराने लगी।

बचपन की काग़ज़ की नावें,
फिर से लहरों में तैर गईं।
भीगी-भीगी गलियों में,
खुशियाँ झूमकर खेल गईं।

पानी की हर एक बूँद,
संदेश सुनाती प्यारा।
जीवन की धूल धोकर,
लाती है सुख का सहारा।
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Writer _
Dharmendra Kumar

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