Quotes by Vandana Pandey in Bitesapp read free

Vandana Pandey

Vandana Pandey

@vandanapandey6488


हाल दिल का सुनाती रही रात भर|
अश्क़ अपने बहाती रही रात भर||

देखता रह गया सोचता रह गया|
दर्द अपना बताती रही रात भर||

दर्द आगोश में ले रहा था मुझे।
बेवशी भी जगाती रही रात भर||

आसमाँ पे घटा छा रही थी बहुत |
चाँदनी कशमसाती रही रात भर||

गोद में रख के सर मैं ही सोता रहा|
माँ तो लोरी सुनाती रही रात भर||

दर्द जिसने दिया था मुझे बेसबब|
वो मुझे फिर मनाती रही रात भर||

रात भर आपको सोचता मैं रहा|
ख़्वाब में आप आती रहीं रात भर||

आप आलोक ऐसे न तन्हा रहें |
बात हमको बताती रही रात भर।।

Read More

हिंदी ़
"छू लो तो *चरण*
अड़ा दो तो *टांग*
धंस जाए तो *पैर*
फिसल जाए तो *पाँव*
आगे बढ़ना हो तो *कदम*
राह में चिह्न छोड़े तो *पद*
प्रभु के हों तो *पाद*
बाप की हो तो *लात*
गधे की पड़े तो *दुलत्ती*
घुंघरु बांधो तो *पग*
खाने के लिए *टंगड़ी*
खेलने के लिए *लंगड़ी*
हिन्दी की बात ही अलग है... अंग्रेजी में केवल *Leg*......
गुरु रवींद्र नाथ टैगोर जी ने कहा था कि भारतीय भाषाएँ *नदी* है तो *हिन्दी* एक *महानदी* है।"

Read More

_*लफ्ज़ों के दाँत नहीं होते,*_
_*पर ये काट लेते हैं...*_

_*दीवारें खड़ी किये बगैर,*_
_*हमको बाँट देते हैं।

*सभी महिलाओं को समर्पित*
🥰तुम!!! खुद को कम मत आँको,
खुद पर गर्व करो।
🥰क्योंकि तुम हो तो
थाली में गर्म रोटी है।
🥰ममता की ठंडक है,
प्यार की ऊष्मा है।
🥰तुमसे, घर में संझा बाती है
घर घर है।
🥰घर लौटने की इच्छा है...
🥰क्या बना है रसोई में
आज झांककर देखने की चाहत है।
🥰तुमसे, पूजा की थाली है,
रिश्तों के अनुबंध हैं
पड़ोसी से संबंध हैं।
🥰घर की घड़ी तुम हो,
सोना जागना खाना सब तुमसे है।
🥰त्योहार होंगे तुम बिन??
तुम्हीं हो दीवाली का दीपक,
होली के सारे रंग,
विजय की लक्ष्मी,
रक्षा का सूत्र! हो तुम।
🥰इंतजार में घर का खुला दरवाजा हो,
रोशनी की खिडक़ी हो
ममता का आकाश तुम ही हो।
🥰समंदर हो तुम प्यार का,
तुम क्या हो...
खुद को जानो!
🥰उन्हें बताओ जो तुम्हें जानते नहीं,
कहते हैं..
तुम करती क्या हो??!!!
🌸☘🍃🍀🍃☘🌸. वंदना

💕💕💕💕💕💕💞

Read More

हिन्दी है हम , हिन्दी हैं।

शिशु के कंठ से निकला पहला शब्द, वो हिंदी हैं।

कोयल की कुकू से, चिड़िया की चीची में बसा हर स्वर , वो हिन्दी हैं।

सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक महत्व को
बढ़ाता, वो हिन्दी हैं।

विदेशो में भी स्वदेशी की खुशबू लाए हर शख्स,
वी हिन्दी हैं।

लिपि ब्राह्मी, नगर , देवनागरी की यात्रा, वी हिन्दी हैं।

देश की आत्मा है हिन्दी डॉ0 वंदना पांडेय

Read More

हाल दिल का सुनाती रही रात भर|
अश्क़ अपना बहाती रही रात भर||
देखती रह गयी सोचती रह गयी|
दर्द अपना बताती रही रात भर||

नींद आगोश में ले रही थी मुझे।
वो मुझे फिर जगाती रही रात भर||

बादलों की घटा छा रही थी मगर|
चाँदनी फिर हटाती रही रात भर||

गोद में रख के सर मैं हीसोतीरही।
माँ तो लोरी सुनाती रही रात भर||

दर्द जिसने दिया था मुझे बेसबब|
वो मुझे फिर मनाती रही रात भर||

रात भर आपको सोचती मैं रही|
ख़्वाब में आप आती रहीं रात भर। डॉ0 वंदना पांडेय

Read More

****************
**************
तुम रूठो मैं मनाऊँ
यह मुझे आता नही ,
क्या कभी कह दूँ तुमसे
कि तुम याद आते ही नही,
एहसास तुम समझते ही नही
और अदाएँ हमे आती नही
साथ साथ चलते रहे
लेकिन कभी मिले ही नही।
मुस्कुराते तुम रहे और
खिलखिलाते हम भी रहे
दर्द तो दोनो ने ही सहे
बयां कभी किये ही नही
समझते तुम भी रहे
नादां हम भी बने रहे
आँखों से बातें की मगर
लबों ने कभी कुछ कहा हीनही
खामोशी के दरिया की
तलहटी में जा बैठे
ज्वार भावनाओं का
देखो,कभी उमड़ा ही नही
क्यों कहे औ शब्दों को गवाएं
समझकर भी रहना चुप ही है
यूँ ही साथ रहेंगें सदा
कुछ कहकर दूर तो जाना ही नही
मेरे इश्क में नादानी भी देखो
बहुत ही अजीब सी है
उसको खोने का डर है
जिसे मैंने कभी पाया ही नही।******************डॉ0 वंदना पांडेय राजनीति विभाग

Read More

नफ़रतों में भला रखा क्या है |
जलते रहने से फ़ायदा क्या है ||

बात करते नहीं हैं हमसे वो|
हमने ऐसा भला कहा क्या है||

दूरियाँ क्यूँ बढ़ा रखीं तू ने|
मेरी इतनी बड़ी ख़ता क्या है ||

मैने तुमसे नहीं छुपाया कुछ|
फिर तो तुमसे दग़ा किया क्या है ||

झूठी क़समें जो खा रहे हो तुम|
ऐसी क़समों में फिर रखा क्या है ||

मैं मनाऊँ भला तुझे कितना|
इतनी जल्दी तू रूठता क्या है||

जो भी आलोक को बुरा समझें|
उनसे रिश्ता मेरा बचा क्या है||

-Vandana Pandey

Read More

आप किसी इंसान का दिल बस तब तक दुखा सकते हो ़़़जब तक ओ आपसे प्रेम करता है।