हाल दिल का सुनाती रही रात भर|
अश्क़ अपने बहाती रही रात भर||
देखता रह गया सोचता रह गया|
दर्द अपना बताती रही रात भर||
दर्द आगोश में ले रहा था मुझे।
बेवशी भी जगाती रही रात भर||
आसमाँ पे घटा छा रही थी बहुत |
चाँदनी कशमसाती रही रात भर||
गोद में रख के सर मैं ही सोता रहा|
माँ तो लोरी सुनाती रही रात भर||
दर्द जिसने दिया था मुझे बेसबब|
वो मुझे फिर मनाती रही रात भर||
रात भर आपको सोचता मैं रहा|
ख़्वाब में आप आती रहीं रात भर||
आप आलोक ऐसे न तन्हा रहें |
बात हमको बताती रही रात भर।।