हाल दिल का सुनाती रही रात भर|
अश्क़ अपना बहाती रही रात भर||
देखती रह गयी सोचती रह गयी|
दर्द अपना बताती रही रात भर||
नींद आगोश में ले रही थी मुझे।
वो मुझे फिर जगाती रही रात भर||
बादलों की घटा छा रही थी मगर|
चाँदनी फिर हटाती रही रात भर||
गोद में रख के सर मैं हीसोतीरही।
माँ तो लोरी सुनाती रही रात भर||
दर्द जिसने दिया था मुझे बेसबब|
वो मुझे फिर मनाती रही रात भर||
रात भर आपको सोचती मैं रही|
ख़्वाब में आप आती रहीं रात भर। डॉ0 वंदना पांडेय