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बचपन की दोस्ती को में शुकून समझा वो दोस्तो के साथ है है एक मजा वो छोटी छोटी बातो को बड़ा समझा वो होम वर्क की कहानी को बड़ा समझा वो पापा का गुस्सा जो ,ठंडा हो जा स्कूल न जाने का हजा फंडा दोस्तो के साथ है जो ,खेलना मजा बचपन की दोस्ती को में शुकून समझा वो दोस्तो के साथ है है एक मजा
हुस्न की नुमाइश करना अच्छा है फॉलोअर पाने की बहुत सारी जो इच्छा है ना जाने ,क्या क्या मटक रहे इस जमाने में कुछ काम ना होने पर दिखावे की, वो सब भिक्षा है ।।
मोहब्बत ही 💯
मुसाफिर हु मैं जहां चलूं वहां तुम और हम और कोन❓ मुसाफिर हूं उन मोहतरमा का जिन्होने निगाहे तो मिलाए पर ना जाने आगे क्यों नहीं बढ़े तुम और हम और कोन❓ मुसाफिर हु बस रिक्शे बाले का जिन्हे बुलाया तो था पर गए नहीं तुम या हम और कोन❓ मुसाफिर हूं अपनी पड़ोसन का जो नजर रखे हुए हैं तुम और हम पर और कोन❓ मुसाफिर हु अपने रिस्तदारो का जिन्हे फ़िक्र हमरी हुए रखी है तुम और हम पर और कोन❓ मुसाफिर हु अपनी वाली के लिए जिन्हे मिला तो नहीं ,मिल जाने की ख़ुशी है तुम और हम को और कोन❓ मुसाफिर हूं अपने दोस्त के लिए जिन्हे गाली बगैर बात न की जाए तुम और हम को और कोन ❓ मुसाफिर हु चाय पीने बाले का जंहा जाऊ वहा जरूर पियू तुम और हम और कोन❓ मुसाफिर हूं शराब की दुकान का जन्हा जाना वी सुकुन सा फील हुआ करता तुम और हम को और कोन❓ मुसाफिर हूं पान मसाला का जंहा सिगरेट पियौ या गुटखा खाऊ तुम और हम और कोन❓ मुसाफिर हूं समोसे का या आलूबंद का जहा रुकु वन्हा खाए तुम और हम और कोन❓ मुसाफिर हूं गाड़ी या साइकिल का जंहा जाए वन्हा जलवा हो तुम और हम और कोन❓ मुसाफिर हूं दोस्त की गर्लफ्रेंड का जिसे भाभी कह जाने का जो मजा वो कही नहीं तुम और हम को और कोन❓ मुसाफिर हूं हम चोराहा का जंहा 2, 4 लोगो का ग्रुप ना बन जाये मजा भी करे उधम भी तुम और हम और कोन❓ मुसाफिर हु नया मोबाइल नई बाइक लेने बाले का दिखाना मोहल्ले बाले को और दोस्तो को उसमे भी मजा है तुम और हम और कोन ❓
pyar ❣️💫 anjam
please follow me 🙏
भेदभाव जाति धर्म और इंसान आलाप है विलाप है नही कोई शैलाव है उमंग की तरंग है रंग है बेरंग है मुश्किलो का संग है उफान की लो में चल पड़ा गुजरती आग में जल पड़ा समुंदर की लहर ने ठहराव ला रहा बदलो की गडगड़ाहट ने शोर ला रहा वो दौर भी कितना बेरंग था खून एक हो ,रंग एक हो ना हो तो बस संग ना हो पुराने वो ख्याल में सम विषम होते चले वो उलझनों के दौर में गुजर बसर चल पड़ा उम्मीद के संग में उमंग के तरंग में मुश्किलो के रंग में निकल पड़ा ।। संदीप दूरदर्शी
""शादी का इंतजार "" आज फिर एक शादी का दौर नए दौर का आगमन है हास्यमय तरीके से दिखावा का फरमान है नापतोल का सोना हो, नापतोल की चांदी नाते रिश्तेदार को ,ये सब जो दिखाना है गुरुर भी था मेरे पास शुरूर भी था मेरे पास मां बाप का ,वो सपना जो था मेहनत की कमाई को यू ही जो उड़ाना है अपने बच्चो की खातिर ,शादी का हिसाब चुकाना है और दुनिया को दिखाना हम ही तो है हम ही जो है आज फिर एक शादी का दौर नए दौर का आगमन है हास्यमय तरीके से दिखावा का फरमान है। कई यो का सपना जो टूटा कई यो का वजूद जो रूठा शादी से पहले कुछ खठ्ठा,कुछ मीठा वो यादें जो वन रही थी वो यादें अब टूट रही थी किसी का प्यार अधूरा किसी का सपने अधूरे आज फिर एक शादी का दौर नए दौर का आगमन है हास्यमय तरीके से दिखावा का फरमान है।
बचपन की याद ✨ दिन वा दिन बदल रहे ,बचपन की याद को संजो रहा समझ ना थी ,ना प्रेम था बचपन की याद में , हास था परिहास था वो क्षीण सी लड़ाई में ,मजा ही वो क्या था मां बाप की डांट से, वो पैरो का कापना यही तो भावना , नए सामानों को तलाशना , सवारना तोड़ना वो छोटी छोटी बातो को घुमा फिरा सजाना झूठ भी, प्यार सा सूरत मासूम थी दिन वा दिन बदल रहे बचपन की याद को संजो रहा
"बदलाव है मनोदशा की " ये लोक है जहा कही मिला सही ये क्षण भरी रात है धुआं भरा खाक है बदल रहे है लोग ,संभल रहे हैं लोग कदम सही ,तुला सही , वैराग्य है , वेआग है नही रहा तो क्या हुआ ,किताबे हैं सही वही वो रास्ता दिखा सही ,कभी तो मिला सही बदलाव दिखा सही ।। वो भूत में प्रथा सही ,यथा ही वैराग्य वो संत की वाणी में , सभ्य की नारी में विचारो की माला है अज्ञान ही छाला है आहिस्ता से बढ़ रहे वो काल की याद में सुधार में अशक्त,विचारो में विलुप्त में ।। वो भेड़ सी चाल में , शने सने चल रहे बिना किसी विचार के ,बिना किसी आधार के मनोदशा बदल रही ,विचार ही अशक्त है मनोवृति प्रधान है वो नीर ही जान है बेजोड़ सी गति रही बेजोड़ सा पवन रहा यही तो प्रधान है यही तो प्रमुख है सने सने बदल रहे , मनोदशा विचार में बदल रहे विचारों में ,बदल रहे व्यवहार में ।।
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