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Review wala

Review wala

@reviewer1970gmailcom
(5)

झुकने की डिग्री का महत्त्व.. पुल सड़क आदि

झुकने की डिग्री का महत्त्व.. पुल सड़क आदि





रीढ़ कित्ती डिग्री झुकने से पुल टूटे ,?

नदी मे बुजुर्ग महिला , बच्चे भी डूबे

थोड़ी सी बारिश मे , घर भी नहाए,

साठ डिग्री पे आदमी झुके और सड़क भी टूटी



जब बिना बिजली के, बल्ब भी जले,

तो साठ डिग्री पे भ्रष्ट आदमी क्यों न झुके?

जब बिना बिजली के, फैन भी चले,

तो बिना डिग्री के, आदमी क्यों न झुके?



जब बिना बारिश के, नदी भी बहे,

तो साठ डिग्री पे , आदमी क्यों न झुके?

जब बिना बारिश के, बूँद भी गिरे,

तो बिना डिग्री के, आदमी क्यों न झुके?



जब बिना बिजली के, टीवी भी चले,

तो साठ डिग्री , वो आदमी क्यों न झुके?

जब बिना बारिश के, फूल भी खिले,

तो बिना डिग्री के, आदमी क्यों न झुके?



जब बिना बिजली के, बिजली भी आए,

तो साठ डिग्री भ्रष्ट , आदमी क्यों न झुके?

जब बिना बारिश के, बादल भी आए,

तो सत्तर डिग्री , आदमी क्यों न झुके?



जब बिना बारिश के, बूँद भी न गिरे,

तो सत्तर डिग्री आदमी क्यों न झुके?

जब बिना बिजली के, बल्ब भी न जले,

तो बिना डिग्री वाला आदमी क्यों न झुके?



जब बिना बारिश के, नदी भी न बहे,

तो बिना डिग्री के, आदमी क्यों न झुके?

जब बिना बारिश के, पुल नहाए,

तो बिना डिग्री के, आदमी क्यों न झुके।

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विकास का ठेका भ्रष्टाचार की बारिश

विकास का ठेका जब भ्रष्टाचार वाले लेते हैं,
बारिश की बूंदों में भी बाढ़ के सपने देखते हैं।

सड़कों पर पानी, गलियों में कीचड़,
जनता की उम्मीदें, हो जाती हैं बिखर।

नालों की सफाई, बस कागजों में होती है,
हकीकत में तो बस, रिश्वत की बोली लगती है।

विकास का नाम, बस दिखावा बन जाता है,
भ्रष्टाचार की बाढ़ में, सब कुछ बह जाता है।

जनता की आवाज, कहीं खो सी जाती है,
सच्चाई की राह, धुंधली हो जाती है।

आओ मिलकर हम, इस बाढ़ को रोकें,
ईमानदारी की राह पर, कदम से कदम जोड़ें।
..

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( शादी के बाद ठण्डी चाय भी गर्म लगे हैं)

चाय की चुस्की, ठण्डी ही सही

ठण्डी चाय की चुस्की, दिल को बहलाती,
जानू के साथ बैठकर, जीवन की बातें करती।

चाय की खुशबू, गरमी को भगाती,
आसमान की बुलंदी पर, ख्वाबों को उड़ाती।

चाय की चुस्की, जीवन की छाया,
दिन की शुरुआत, चाय के साथ हो जाया।

चाय की चुस्की, दिल की गहराई,
खुशियों की बौछार, चाय के जाम में छुपी।

चाय की चुस्की, जानू  के साथ,
जीवन की यादें, चाय की चुस्की में बसी।

चाय की चुस्की, जीवन की राहों में,
दोस्त की मिठास, चाय के प्याले में छुपी।

चाय की चुस्की, दिल को बहलाती,
पार्टनर के साथ बैठकर, जीवन की बातें करती।

चाय की चुस्की, जीवन की छाया,
दिन की शुरुआत, चाय के साथ हो जाया।

चाय की चुस्की, दिल की गहराई,
खुशियों की बौछार, चाय के जाम में छुपी।

चाय की चुस्की, दोस्तों के साथ,
जीवन की यादें, चाय की चुस्की में बसी।

चाय की चुस्की, जीवन की राहों में,
दोस्ती की मिठास, चाय के प्याले में छुपी।

चाय की चुस्की, दिल को बहलाती,
जानू के साथ बैठकर, जीवन की बातें करती।

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उनकी ज़ुल्फ़ों मे छिपी थी उनकी आँखें
जासूसी कर रही थी देख न पाया यारो

अब कब तक करेंगे वो यह भी देखता हूँ
एक न एक दिन सामने आ जाएंगे
कब तक छुपेंगे देखता हूँ
उनको उन्ही की जासूस निगाहों से

देखता हूँ कब तक छुपेंगे देखता हूँ
चाँद सामने आ ही जाएगा

रात की चादर में छुपा, वो चमकता है,
सितारों के बीच, वो सबसे अलग दिखता है।

कभी बादलों में छुपा, कभी खुला आसमान,
चाँद की ये अदाएँ, करती हैं सबको हैरान।

देखता हूँ कब तक छुपेंगे, देखता हूँ,
चाँद सामने आ ही जाएगा, देखता हूँ।

देखता हूँ
लो वो मुस्कुरा दिये न
बाहर आ ही गया चाँद
देखता हूँ

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( बोर होते हुए मुझमे और उस कौए मे क्या फर्क है,कोई तो बताए?)

बारिश में बोर होते हुआ कौआ

बोर होता है कौवा, बैठा है डाली पर
देखता है आसमान को, उड़ते हुए पंछी पर
काला है रंग उसका, काली है चोंच उसकी
कोई नहीं देता ध्यान, कोई नहीं देता सोच उसकी

बोर होता है कौवा, भूखा है पेट उसका
ढूंढता है भोजन को, फेंके हुए कूड़े में
कभी रोटी का टुकड़ा, कभी फल का छिलका
कोई नहीं देता भोग, कोई नहीं देता दिलका

बोर होता है कौवा, अकेला है दिल उसका
ढूंढता है साथी को, चहकते हुए चिड़ियों में
कभी मैना की बोली, कभी बुलबुल का गीत
कोई नहीं देता साथ, कोई नहीं देता प्रीत

बोर होता है कौवा, लेकिन नहीं हारता है
जीता है वो अपने लिए, जीता है वो अपनी तरह
काला है रंग उसका, काली है चोंच उसकी
कोई नहीं देता ध्यान, कोई नहीं देता सोच उसकी
....
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ठेके पर विकास नहीं होता,
नियत में हो जब तक खोटा।
सच्चे मन से जो काम करे,
वही सच्चा विकास करे।

नियत हो जब साफ और सच्ची,
तभी बनेगी राहें अच्छी।
ठेके पर जो काम करे,
वो बस दिखावा ही करे।

ईमानदारी से जो चले,
वही मंजिल को पा सके।
ठेके पर विकास नहीं होता,
नियत में हो जब तक खोटा।

सपनों को जो सच करे,
मेहनत से जो राहें भरे।
ठेके पर जो काम करे,
वो बस दिखावा ही करे।

सच्चाई की राह पर चलना,
मुश्किल है पर है सही।
ठेके पर जो काम करे,
वो बस दिखावा ही करे।

नियत हो जब साफ और सच्ची,
तभी बनेगी राहें अच्छी।
ठेके पर जो काम करे,
वो बस दिखावा ही करे।

ईमानदारी से जो चले,
वही मंजिल को पा सके।
ठेके पर विकास नहीं होता,
नियत में हो जब तक खोटा।

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सपनों की बात कौन करे

सपने अगर सच हो जाते, मंज़र क्या होता!

अगर आ जाती बहारें कहीं, तो बंजर कहाँ होता?

न जाने कितने नयनो ने ख्वाब छीनते देखे हैं,

सवाल बनते देखे हैं, जवाब छीनते देखे हैं।



जो सपना देखा था हमने, काश उसी में रहते हम,

इस दुनिया की न सुनते एक, इस दुनिया से न कहते हम।

आँखे मूंदे-मूंदे, मदिरा पीते रहते हम,

नींद-नशे में बहते-बहते पिछली सीट पे रहते हम।



पर पलकों पर नहीं दिखतें सपने, नींद दिखा करती है,

हम पर मारे छींटे दुनिया "उठ जाओ प्यारे" कहती है।

हम को खींच लाती है काले-सफ़ेद रंगों में,

बांध देती है हमें दायरों में, ढंगों में।



फिर रात हम स्वप्न-नगरी में चले जाते हैं,

हकीकत में फिरते रहते हैं।

सपनों में साँसे पाते हैं, पर रोज़ सुबह ये दुनिया,

हमारे ख्वाबों को झुठलाती है।



पंखोंवाली चिड़िया पिंजरों में बाँधी जाती है,

एक दफा हम छोड़ आये दुनिया, और सपनो का एक झोला सी डाला।

स्वयं उठकर फिर अगली सुबह, उन सपनो में,

रंग सच्चाई का भर डाला।



जब लौटे बेरंग दुनिया में, तो वो रंग हवा में उछाल दिए,

न टूटे कभी ख्वाब किसी के, उस दिन सब ने ख्वाब सीए।

सब ने मिलकर उस दिन का शहर सजाया,

गहरी-गहरी रातों में जिसने जो देखा सो पाया।

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उस तरफ खामोशियाँ इस तरफ रुस्वाईयां 
इस तरफ हैं हमनवां उस तरफ परछाईयां 
इस तरफ हैं मेहफिलें उस तरफ अनजान हैं 
साये हैं सब तरफ पर देखिये वो बेजान हैं 

इस तरफ हैं दिलों की धड़कनें, उस तरफ सन्नाटे हैं 
इस तरफ हैं हंसी की गूंज, उस तरफ आंसुओं के घाटे हैं 
इस तरफ हैं सपनों की उड़ान, उस तरफ टूटे अरमान हैं 
साये हैं सब तरफ पर देखिये वो बेजान हैं 

इस तरफ हैं उम्मीदों की किरणें, उस तरफ अंधेरों का राज है 
इस तरफ हैं प्यार की बातें, उस तरफ नफरत का साज है 
इस तरफ हैं जीवन की रौनक, उस तरफ वीरान हैं 
साये हैं सब तरफ पर देखिये वो बेजान हैं 

इस तरफ हैं दोस्ती की मिठास, उस तरफ दुश्मनी की तलवारें 
इस तरफ हैं खुशियों के पल, उस तरफ गम के अंधकारें 
इस तरफ हैं जीवन का संगीत, उस तरफ मौन की तान हैं 
साये हैं सब तरफ पर देखिये वो बेजान हैं

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Neuton वाली विलंबित रिएक्शन थ्योरी

कुंवारे दिलों की कहानी,
विलंबित रिएक्शन की निशानी।
सोचते हैं देर तक, करते हैं इंतजार,
फिर भी दिल में रहती है प्यार की बहार।

दिल की धड़कनें बढ़ती हैं धीरे-धीरे,
सोचते हैं क्या कहें, कैसे कहें, किस तरह से।
पलकों में छुपी रहती हैं अनकही बातें,
दिल की गहराइयों में बसी रहती हैं मुलाकातें।

हर मुलाकात में होती है एक नई शुरुआत,
पर दिल की जुबां नहीं कह पाती अपनी बात।
विलंबित रिएक्शन की ये है कहानी,
जहां प्यार है, पर जुबां में है नादानी।

सोचते हैं हर पल, करते हैं इंतजार,
दिल की धड़कनें कहती हैं प्यार का इज़हार।
पर Neuton की थ्योरी में है एक उलझन,
विलंबित रिएक्शन में है दिल की धड़कन।

कभी-कभी सोचते हैं, क्यों न कह दें साफ-साफ,
पर दिल की धड़कनें करती हैं हमें माफ।
विलंबित रिएक्शन की ये है कहानी,
जहां प्यार है, पर जुबां में है नादानी।

दिल की धड़कनें कहती हैं, अब तो कह दो,
प्यार की बातें, अब तो सुन लो।
विलंबित रिएक्शन की ये है निशानी,
कुंवारे दिलों की ये है कहानी

कुंवारे दिलों की कहानी,
विलंबित रिएक्शन की निशानी।
सोचते हैं देर तक, करते हैं इंतजार,
फिर भी दिल में रहती है प्यार की बहार।

दिल की धड़कनें बढ़ती हैं धीरे-धीरे,
सोचते हैं क्या कहें, कैसे कहें, किस तरह से।
पलकों में छुपी रहती हैं अनकही बातें,
दिल की गहराइयों में बसी रहती हैं मुलाकातें।

हर मुलाकात में होती है एक नई शुरुआत,
पर दिल की जुबां नहीं कह पाती अपनी बात।
विलंबित रिएक्शन की ये है कहानी,
जहां प्यार है, पर जुबां में है नादानी।

सोचते हैं हर पल, करते हैं इंतजार,
दिल की धड़कनें कहती हैं प्यार का इज़हार।
पर Neuton की थ्योरी में है एक उलझन,
विलंबित रिएक्शन में है दिल की धड़कन।

कभी-कभी सोचते हैं, क्यों न कह दें साफ-साफ,
पर दिल की धड़कनें करती हैं हमें माफ।
विलंबित रिएक्शन की ये है कहानी,
जहां प्यार है, पर जुबां में है नादानी।

दिल की धड़कनें कहती हैं, अब तो कह दो,
प्यार की बातें, अब तो सुन लो।
विलंबित रिएक्शन की ये है निशानी,
कुंवारे दिलों की ये है कहानी।

रात की तन्हाई में, जब चाँदनी छाई,
दिल की गहराइयों में, एक हलचल सी आई।
सोचते हैं, क्या कहें, कैसे कहें,
दिल की बातों को, कैसे जुबां पर लाएं।

हर सुबह की किरण में, एक नई उम्मीद,
पर दिल की धड़कनें, करती हैं हमें रुकने की तमीद।
विलंबित रिएक्शन की ये है कहानी,
जहां प्यार है, पर जुबां में है नादानी।

दिल की धड़कनें कहती हैं, अब तो कह दो,
प्यार की बातें, अब तो सुन लो।
विलंबित रिएक्शन की ये है निशानी,
कुंवारे दिलों की ये है कहानी।

हर दिन की शुरुआत में, एक नई चाहत,
पर दिल की धड़कनें, करती हैं हमें रुकने की तमीद।
विलंबित रिएक्शन की ये है कहानी,
जहां प्यार है, पर जुबां में है नादानी।

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गैस सुब्सीडी खत्म, मीडिया खामोश है
महंगाई भत्ता कम या रोक दिया गया
मीडिया खामोश है
Fd के रेट छ फीसदी से कम, मीडिया खामोश
मीडिया क्या लिखता है, देखिये न..
फ्लाने नेता ने गिटार बजाई, (तालियां)
उस नेता के कुत्ते ने ice क्रीम खाई, (तालिया)
फलाने अभिनेता ने फलाने को गाली दी
(तालियां)
मंदिर मे सौ दिया जलाये गए आदि
आप ही सोचिये
मीडिया को क्या पड़ी आपकी मुश्किलों की
उन्हे कट मिल रहे है या दो तीन मिनट के विज्ञापन
यानी एक एक करोड़ से ज़्यादा का एक विज्ञापन, रोज़ कई बार दिखाया जाता है
आपका मेरा पैसा, टैक्स का पैसा कहाँ जा रहा है, सोचिये न
जो विपक्ष पॉजिटिव  रोल कर सकता था उसी को आंदोलन प्रेमी बताया जा रहा है
या और कई नाम दिये जा रहे है
एक ही पार्टी की बुराई विपक्ष को न सुनना
सरकारी कर्मचारियों की वाट लगाओ
कोई सरकार तब तक ही चलती है जब तक जनता के प्रति जवाब देह होती है
किसान आंदोलन के आप साथ हों या नही, पर उनको अजीब नाम दिया जा रहे है
मीडिया का रोल भी संदेह मे आ रहा है
यह कब तक होगा?
कब तक?
कब तक?
कब तक हम लल्लू बने रहेंगे?
कब तक?

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