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Review wala

Review wala Matrubharti Verified

@reviewer1970gmailcom
(28)

एक व्यंग्यात्मक कविता है:

उस रिसॉर्ट में  कई कमरे है,attached  स्विमिंग पूल है पर मग बाल्टी नहीं है, 
कमरे में एसी है पर कुर्सी नहीं है, किराया बीस हजार पर खाने को गोभी है। 

सोचो, क्या अजीब हाल है, ये कैसी जगह है, 
जहाँ आराम के नाम पर बस दिखावा है। 

स्विमिंग पूल में डुबकी लगाओ, पर नहाने को मग नहीं, 
एसी की ठंडक में बैठो, पर कुर्सी की जगह नहीं। 

बीस हजार का किराया, पर सुविधा का नाम नहीं, 
खाने में गोभी, जैसे स्वाद का कोई काम नहीं। 

क्या यही है लक्ज़री, क्या यही है आराम, 
या फिर ये है बस एक दिखावा, एक बड़ा धोखा नाम। 

रिसॉर्ट के मालिक से पूछो, ये कैसी व्यवस्था है, 
क्या यही है उनका मानक, क्या यही उनकी व्यवस्था है? 
(Resort का नाम नहीं बताऊँगा पर य़ह एक reality है)
आशा है आपको यह कविता पसंद आई होगी! 😊

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लुट गई बस्तियाँ, जब्त हुए नग़मे

लुट गई बस्तियाँ, जब्त हुए नग़मे,
खामोश हैं अब वो गलियाँ, जहाँ गूंजते थे तराने।

हर कोने में बिखरी है उदासी की धूल,
ख्वाबों की चादर पर अब नहीं कोई फूल।

वो हँसी, वो खुशी, सब खो गए कहीं,
अब तो बस यादें ही रह गईं यहीं।

आओ, मिलकर फिर से बसाएँ ये बस्तियाँ,
फिर से गूंजें नग़मे, फिर से खिलें खुशियाँ।

उम्मीद की किरण से भर दें हर दिल,
फिर से जिएं वो पल, जो थे कभी हसीन।

आओ, मिलकर फिर से सजाएँ ये बस्तियाँ,
फिर से गूंजें नग़मे, फिर से खिलें खुशियाँ।

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एक बात है कि फिल्मो के नामों की कमी हो रही है
कुछ idea पेश हैं जिससे पहले के नाम वाली फिल्मो को दुबारा नये नाम से पर्दे पर लाया जाए
पुराना नाम " मेरा पति सिर्फ मेरा है "
नये नाम.., तेरा पति सिर्फ मेरा है
                मेरा पति सिर्फ तेरा है
                 तेरा पति सिर्फ तेरा है
आदि..
पुराना नाम बिन बादल बरसात
नये नाम
           बिन हवा के आंधी, बिन लड़की के शादी, आदि
पुराना नाम ...एल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है?
नया.. अल्बर्ट पिंटो बार बार क्यों दादर जाता है?
         अल्बर्ट पिंटो को उसकी पत्नी क्यों सताती है?
आदि

आशा है फिल्म वाले मेरे सुझाव का फायदा उठाएंगे।

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ठेका दिलवाने का ठेका, बड़ा ही अजीब काम,
हर कोई बनता है ठेकेदार, सबका एक ही नाम।

कभी कोई कहे, "मैं हूँ सबसे बड़ा खिलाड़ी,"
दूसरा बोले, "मेरे बिना ठेका नहीं मिलेगा प्यारी।"

कोई लाए रिश्वत की थैली, कोई दे वादों की झड़ी,
सबकी जुबान पर एक ही बात, "मुझे ही ठेका दे, मेरी लड़ी।"

ठेकेदारों की भीड़ में, कौन है असली, कौन नकली,
सबकी चालें ऐसी, जैसे हो कोई फिल्मी कहानी।

कभी कोई नेता, कभी कोई अफसर,
सबकी नजरें ठेके पर, जैसे हो कोई खजाना।

ठेका दिलवाने का ठेका, बड़ा ही मजेदार खेल,
जिसने भी खेला, उसने ही पाया, ठेके का मेल।

तो दोस्तों, संभल के रहना, ठेके की इस दुनिया में,
क्योंकि यहाँ हर कोई है, ठेका दिलवाने के ठेके में माहिर।
```

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(राम सिंह ढाबे वाला राम प्यारी को चाहता हैं जिसके पिता लस्सी मिठाई की दुकान चलाते है। राम प्यारी चाहती है कि राम सिंह उनके परिवार का ही बन के रहे पर फिल्मी ट्विस्ट आते है और रिश्ता टूट ही वाला है..)

राम सिंह की दर्दीली आवाज़ है...

"हर दिन मुझे ज़ालिम तूने तड़पाया तो क्या किया
मेरे दिल का तन्दूरी रोस्ट बनाया तो क्या किया

ले दे के तेरे डैडी को पटाया था कैसे मैंने उसे
उस का दिमाग तूने ही फिराया तो क्या किया

ज़िंदगी मे यूँ कई  सितम ढाये थे वैसे ही तूने
अब इसमे तूने मिर्ची तड़का लगाया तो क्या किया "

राम प्यारी भी जवाब देती है बॉलीवुड फिल्मी..

मेरे  पेट मे  भूख सी लगती है ढाबे से जब मै गुजरती हूँ
इस बात से यह न समझ लेना कि मैं तुझसे मुहब्बत करती हूँ

मेरे डैडी से जो भी कहा तूने वो मैं ठीक से ही समझती हूँ
तेरे प्लान क्या है आगे के लिए क्या मै तुझे बेवकूफ लगती हूँ

(अगली धुन  )

चिकन मांगू न कबाब मांगू
मैं तो राम सिंह तेरा प्यार मांगू

यह मस्त गाने को सुन कर राम सिंह गदगद हो जाता है और ढाबे को लीज़ पर दे कर राम प्यारी  के परिवार का घर जंवाई बन जाता है। सब खुश
समाप्त

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कुत्ते पर निबंध

कुत्तों का origin  पन्द्रह हजार साल पहले हुआ, ऐसा जर्मन साहित्य से पता चलता है
बहुत चतुर होते हैं
चीन वाले इनको खा जाते हैं
यह अपनी टेरिटरी बना के रखते हैं
आपकी कार  के टायर पे सू सु कर के आपसे रिश्ता बनाते है
दूसरी जगह से कार आयेगी तो उसका टायर सुंघते है जैसे कोई अखबार हो
वहाँ के कुत्ते की खोज खबर ऐसे ही मिलती है इनको
खम्बे से भी काम चला लेते है टायर न हो तो
बिजली के खम्बे न हो तो क्या करेंगे ( यह आउट ऑफ कोर्स है)
हाथी आदि के पीछे पड़ जाते है, भोंकते है
कुछ लोग इनको आदमी से बेहतर भी मानते हैं
भेड़िये इनके पूर्वज है या नही, विवाद का विषय है

कार का पीछा करेंगे
रोकेंगे तो पूँछ हिलाएंगे
आगे नही आता
कित्ते नम्बर देंगे?

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" चार मे से तीसरा आश्रम तो वान प्रस्थ होता है न "राम प्यारी बोली।
" सही बोली, पर गृहस्थ मे ही वृद्ध हो जावे तो क्या हो "आँखो मे चमक आ रही थी मस्त राम की
" और कुछ भी सूझता है क्या आपको, पर वृद्ध आश्रम कोई होता है क्या ? "
" आजकल शादी के बाद ही शुरू हो जाता है वृद्ध होना आदमी, सारी लाइफ ही यही... " मस्त राम
" अब बक बक छोड़ो, कुछ सब्ज़ी आटा तेल ला के दो मुझे "
"यही तो मुझे वृद्धा श्रम मे धकेल रही है " कह कर मस्त राम ने बैग उठाया, चल दिया

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( पेपर लेस नारे ने लगाई है वाट,zerox किलो के भाव होते हैं आज भी)

पेपर लेस क्लेम को मारो गोली
मोटी फाइल और भी मोटी हो ली
चौथाई किलो थी पिछले साल
अब यह दो किलो की हो ली
मैं तो पूछुं क्या हो रिया भाईयो
कब जलेगी इन मोटी  फाइलो की होली?
पेपर लेस है इक नारा सब लगावे हैं
कौन बतावे ऑफिस वालो
यह थिरक्न है या चिरकुट है
पेपर लेस है नारा,
यह तो जनता की त्रास है
हर ऑफिस मे वास है

आप मर चुके हैं,फाइल यही कहती है
किस किस को सम्झाओगे आप जिंदा हो
सिस्टम बेरहम था और रहेगा क़ातिल की तरह
किस किस को सुनाओगे दास्तां अपनी
खाल अपनी खिंचवा के भर दे भूसा जिसमे
चीख चीख कर कराह के पुकारेगा वजूद आपका
नाकाम न हो मायूस न हो मेरे हम सफर ,चला चल
ये वक़्त रौंद डालेगा सिस्टम को इक तूफ़ाँ की तरह

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कॉकरोच और टेक्नोलॉजी पर एक मजेदार कविता:

कॉकरोच की चाल निराली,
टेक्नोलॉजी से भी तेज़ है उसकी ताली।
किचन में जब वो आता है,
सबको डराकर भाग जाता है।

टेक्नोलॉजी ने दी हमें रोबोट की सेना,
पर कॉकरोच से बचने का नहीं मिला कोई तरीका।
वो चलता है दीवारों पर, छुपता है कोनों में,
टेक्नोलॉजी भी हार मान जाए, उसकी चालों में।

ड्रोन उड़ते हैं आसमान में, करते हैं निगरानी,
पर कॉकरोच की चालाकी, सब पर भारी।
टेक्नोलॉजी ने दी हमें स्मार्टफोन की दुनिया,
पर कॉकरोच की दुनिया, उससे भी अनोखी।

तो चलो मिलकर सोचें, एक नई टेक्नोलॉजी बनाएं,
जो कॉकरोच को भी मात दे, और हमें चैन दिलाए।
कॉकरोच और टेक्नोलॉजी का ये खेल निराला,
दोनों की दुनिया में, है कुछ तो कमाल का।
```

क्या आपको यह कविता पसंद आई? 😊

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वस्ल का ख्याल एक ऐसा है,
जो दिल को छू जाए,
यादों की गलियों में,
खुशबू सी बिखर जाए।

वो लम्हे जो हमने साथ बिताए,
हर पल में बस वही समाए,
वस्ल की वो रातें,
चाँदनी में जैसे चाँद छुप जाए।

तेरी बातों की मिठास,
तेरे साथ की वो खास,
हर ख्याल में बस तू ही तू,
वस्ल का ख्याल, जैसे कोई जादू।

तू पास हो या दूर,
दिल में बस तेरा ही नूर,
वस्ल का ख्याल, एक सपना सा,
जो हर पल में हो पूरा।

कैसी लगी ये कविता? 😊

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