Quotes by Kishore Sharma Saraswat in Bitesapp read free

Kishore Sharma Saraswat

Kishore Sharma Saraswat Matrubharti Verified

@kishoresharmasaraswat6429
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No one has the right to talk about the disintegration of the country taking shelter under the shadow of caste ,creed or gender. Country is first and above over the freedom of speech.

हिंदी बनाम पुस्तक मेलों की प्रासंगिकता

कल मुझे एक पुस्तक मेले में जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। परन्तु अनुभव बहुत कटु रहा । मैं एक पुस्तक स्टाल पर लगभग चार घंटे तक रहा। इस समय के दौरान बच्चों से लेकर बड़ी तक ने जितनी भी पुस्तकें खरीदी के सभी अंग्रेजी साहित्य की थी और केवल विदेशी लेखकों ‌द्वारा लिखित । हिंदी में. लिखित एक भी पुस्तक नहीं खरीदी गई। मुझे यह समझ नहीं आया कि ऐसे पुस्तक मेलों के आयोजन की क्या प्रासंगिकता है, जिनमें मातृ‌भाषा का तिरस्कार हो । क्या मातृभाषा का दायरा केवल साहित्यक सम्मान समारोहों के बंद कमरों तक ही सीमित है? इस स्थिति के लिए मैं हिंदी के साहित्यकारों को भी दोषी मनाता हूँ, क्योंकि इन्होंने भी कभी राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर संगठित होकर आवाज नहीं उठाई। मैंने एक-दो बार यह मु‌द्दा उठाया, परन्तु किसी ने भी विशेष रुचि नहीं दिखाई। आज हिंदी साहित्य का क्षेत्र केवल पुस्तकों के विमोचन व मित्रों के साथ आदान-प्रदान तक सिमटकर रह गया है।

सरकारी स्तर पर भी प्रोत्साहन केवल कागजों की टिप्पणियों तक ही सीमित है तथा जमीनी स्तर पर कोई ठोस प्रयत्न नहीं किए गये हैं। यदि आप नॉर्वे देश में कोई पुस्तक प्रकाशित करते हैं, तो सरकार 1000 प्रतियां (बच्चों की पुस्तक के लिए 1500) खरीदेगी और उन्हें पूरे देश के पुस्तकालयों में वितरित करेगी। हमारे देश में केन्द्रीय व राज्य स्तर पर विभागीय तथा अन्य अनगिनत पुस्तकालय हैं जिनके लिए प्रतिवर्ष पुस्तकों की खरीद की जाती है। क्या मातृभाषा के हित में केन्द्रीय व राज्य सरकारे यहाँ भी यह प्रावधान नहीं कर सकती? ऐसा करने से एक तो मातृभाषा का प्रचार और प्रसार होगा और दूसरे साहित्यकारों को भी प्रोत्साहन मिलेगा ।

मेरा लेखक वर्ग से निवेदन है कि वह इस मु‌द्दे पर विचार करें और संगठित होकर अपनी-अपनी राज्य सरकारों के साथ यह मामला उठाएं ।

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इंसान का ओहदा और रुतबा चाहे जितना मर्जी बड़ा हो जब वह दूसरों के पास जाकर कुछ मांगता है तो अपने आप को उनके सामने छोटा ही महसूस करता है।

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चेहरे पर हँसी और मुस्कान हृदय की भीतरी खुशी का दर्पण होता है।

इंसान को पूरी अक्ल पढ़ कर नहीं अपितु संघर्षों का सामना करने पर आती है।

कठिन जीवन सफलता की सीढ़ी है। इस से गुजरकर ही इंसान बुलंदियों को छूता है।

Happiness is that priceless gift given by God,sharing which does not reduce the treasure of happiness but increases,as much as you distribute, it will come back to the person who distributed it. In my opinion, there is no other miracle bigger than this in this world.

पढ़ना और लिखना दो ऐसे टॉनिक हैं जो इंसान को सदैव युवा बनाए रखते हैं। मैं जिस दिन पढ़ना और लिखना छोड़ दूंगा उसी दिन बूढ़ा हो जाऊंगा।

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उपकार

आए हो जग में तो
उपकार करके जाओ,
नश्वर है ये काया
कुछ नाम करके जाओ।

रग रग में बह रहा है
स्वार्थ का जो शातिर,
तिलाजजि दो उसे तुम
परमार्थ की खातिर ।

औरों को सुख देकर बंधु
स्वयं भी सुख पाओगे,
मिट जाएगा अंधेरा जीवन से
भविष्य उज्ज्वल कर जाओगे।

जीना है नाम इसी का
किसी के काम आ जाओ.
छोड गठरी पाप की
भवसागर से तर जाओ।

आए हो जग में तो
उपकार करके जाओ.
नश्वर है ये काया
कुछ नाम करके जाओ।

- किशोर शर्मा 'सारस्वत

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जीवन में सदैव कुछ बड़ा करने की सोचें।ऐसा सोचने से मानसिक शक्ति बलिष्ठ होती है और मन में स्कारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं। अच्छे सपने देखना इंसान को बुलंदियों की ओर ले जाने वाला रास्ता होता है।

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