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Arjun Sutar

Arjun Sutar

@arjunsutar.949279
(7)

वो यादे
लोग दो दिन बात न करें तो रूठ जाते हैं,
हमने उसकी ख़ामोशी को भी दिल में जगह दी है।
कई दिन-रात करते-करते साल निकल गए,
उसकी याद में तो बीस साल गुजर गए।

दोस्तों की मेहरबानी से वो वापस आई है,
आज कितने सालों बाद वो सामने आई है।
मेरे लिए नई उम्मीद बनकर आई है
दिल के वीराने में एक गुलशन बन आई है।

उसके लिए मैंने कई रातों की नींद गंवाई,
हर दर्द सहकर भी मुस्कान सजाई।
कलम के सहारे दिल की बात लिख डाली,
पर उसे तो वो बस एक कहानी ही नज़र आई।

शब्दों में छुपा मेरा दर्द वो समझ न सकी,
अंदर के जज़्बातों को वो पढ़ न सकी।
मेरी कहानियाँ भी कुछ काम न आईं,
न ही वो मेरे टूटे दिल पर मरहम लगाने आई।

कुछ बातें लफ़्ज़ों में बयाँ नहीं होती हैं,
कुछ बातें जुबां पर आती नहीं हैं,
उसकी ख़ामोशी में सब कुछ समा जाता है,
बिना कहे, उसकी हर बात दिल तक पहुंच जाती है।

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इंटरनेटच्या युगात पुस्तके जुनी वाटू लागली,
पण हीच पुस्तके शिक्षणाचे मोठे धडे देऊन गेली.
जीवन जगण्याचे रहस्य या पुस्तकांनी दिले आहे,
आणि संकटांना सामोरे जाण्याचे बळ याच्यामुळेच मिळाले आहे.
Arjun
- Arjun Sutar

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आजकाल मला फक्त वर्तमान काळ आवडतो.
भूतकाळ लहानपणीच्या आठवणींची जाणीव करून देतो,
आणि भविष्यकाळ उद्याच्या चिंतेमुळे नकोसा वाटतो.
- Arjun Sutar

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**"कागज़ पर बस दो पंक्तियाँ क्या लिख दीं,
तो लोगों ने मुझे कलाकार कह दिया है।
बाहर देखा, तब एहसास हो गया,
हुनरमंद आज भी बस एक मौके की तलाश में बैठा है।

सच तो ये है, न वो अल्फ़ाज़ मेरे हैं,
न वो ज़ुबान मेरी है।
सुनी-सुनाई बातों की मैंने बस सजावट की है,
लोगों ने मेरी इतनी वाह-वाही कर दी है,
कि उस शोर में उस हुनरमंद की आवाज़ ही खो गई है।"**

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