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Anand Nema

Anand Nema

@anandnema1507


जब भी मैं अकेला होता हूं
अपना ही अपना होता हूं

न कोई मुझे नीचा दिखाने वाला
न कोई मुझे आसमां चढ़ाने वाला

अपने मैं ही खोया होता हूं
जब भी मैं अकेला होता हूं।

कुछ पुराने यादें कुछ नये गम
अपने ही आलम में खोये हम

कभी हंसता हूं कभी रोया होता हूं
जब भी मैं अकेला होता हूं ।

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#लायक
सरकार खास तौर पर प्रदेश सरकार समझती है
कि सरकारी स्कूल के मास्साब( मास्टर)स्कूल में पढ़ाने के अलावा दुनिया का सबसे कामकर सकते हैं।आश्चर्य किंतु सत्य ये है कि स्कूल के गुरु जी जो स्कूल में पढ़ाने में बंगले झांकते नजर आते हैं ट्यूशन में अच्छी शिक्षा देते हैं ।और उससे बड़ा आश्चर्य ये है कि स्कूल में फेल होने वाले विद्यार्थी मास्साब की कोचिंग क्लास में पढ़ते ही टाप करने लग जाते हैं ।खैर ये हमारा विषय नहीं है विषय में है कि सरकार मास्टर साहब को अलादीन का चिराग समझकर
व्यवहार करती है । इसलिए शिक्षक का पेंदा हर जगह रगड़ा जाता है। जन गणना हो , पोलियो के खिलाफ अभियान हो । परिवार नियोजन योजना का प्रचार हो
मास्टर को सब करना होता है ।
इसी संदर्भ में मास्टर दीनानाथ की डियूटी पशु संवर्धन मेले में लगा दी गई।शायद ऊपर वालों ने सोचा होगा गधे से आदमी बनाने वाला पशुओं की प्रर्दशनी के लिए बेहतर काम करेगा ।परंतु उद्घघाटन करने आते मंत्री की विचित्र काया देख कर एक बैल बेकाबू हो गया और मंत्री जी को पेट में सींग मार दी । कसूर बैल का था सस्पेंड दीनानाथ मास्टर हो गये।
गणित वाले मास्टर ने हिंदी वाले मास्साब से कहा -
अगर अंबानी का बिजनेस मुझे सौंप दें तो मैं इस' लायक'
हूं कि अंबानी से ज्यादा कमा कर दिखा सकता हूं।
हिंदी मास्साब-बोले काहे बड़ बड़ के बोल रहे हो अंबानी से ज्यादा कैसे कमायेंगे आप?
'यार दो चार ट्यूशन भी तो होगी न ' मेथ्स वाले सर ने
समझाया ।
अभी मैंने एक मेसेज पढ़ा कि कोई कह रहा था स्कूल बंद हैं तो मास्टर घर मैं बैठ कर क्या कर रहे हैं । सारे मास्टरों की ड्यूटी लगा दो कि वो धरती पकड़ कर रखें भूकंप से
धरती हिलने ना पाए ।
इस पर साइंस वाले सर (मास्साब) ने सुझाव दिया' कि
क्यो न पृथ्वी को धकेल कर अंतरिक्ष में कहीं और स्थापित कर दिया जाये ।इस बारे में वास्तु शास्त्री से भी सलाह ली
जा सकती है ।

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#शांत
लगभग ढाई महिने लगातार घर में रहने के बाद मैंने
महसूसा कि घर में शांत रहना कितना मुश्किल है ।
एक तरफ घर का मेनटेनेंस दूसरा बच्चे सम्हालना और
घर के सारे काम समय पर होना । धन्य है श्रीमती जी जो मेनेज कर लेती हैं ।इससे बेहतर तो हमारा सरकारी दफ्तर है घड़ी दो घड़ी काम करो आराम से लंच करो फिर थोड़ा सो जाओ(बैठे बैठे सोने का अभ्यास मैनै दफ्तर में ही किया है )।
घर पर श्रीमती जी ने सुबह उठा दिया बोली - सुनो मार्केट
जाओ उरदा की दाल ले आओ पापड़ बनाने है ।
"इतनी सुबह "
'हां लाक डाउन में सरकारी आदेश है दुकान दस बजे बंद हो जायेगी '
-"यार करोना बीमारी फैली है भूकंप आ रहा है तूफान आ रहे हैं कल का पता नहीं तुम्हें साल भर के लिए पापड़
बनाने की सोच रही हूं " मैंने टालने की कोशिश की।
'बहाने मत बनाओ तुमको ही रोज पापड़ लगते हैं उठो'
उसने मुझे सुबह से थैला पकड़ा दिया ।
मुझे समाचार देखना था बच्चे टी वी पर कार्टून देख रहे
थे । परेशान होकर मैंने भगुआ कुर्ता पहना और बाहर जाने निकलने लगा ‌।
" कहां चले केसरिया बालमा " चिढ़ाते हुए श्रीमती जी ने पूछा ।
'मैं शांति की खोज मैं जा रहा हूं ' मैंने गंभीर स्वरों में कहा।
"लाक डाउन के बाद शांति (कामवाली) काम पर आ
जायेगी कहीं खोजने की जरूरत नहीं "
-' मैं उस शांति की बात नहीं कर रहा '
"अच्छा तो तुम आफिस वाली शांति की बात कर रहे हो
आफिस की तो छुट्टी है उसके घर न जाना उसके ससुर को करोना हो गया है वो तो मिलेगी नहीं करोना वायरस लेकर
आ जाओगे " पत्नी ने समझाया।
'अरे मैं भगवत भजन वाली शांति की खोज में जा रहा हूं '
-"अच्छा आसाराम वाली शांति "?
'नहीं नहीं मैं दाता राम वाली शांति पाने निकल रहा हूं'
मैंने झल्ला कर कहा ।
"ठीक है जाओ जाओ चौराहे पर खाकी वर्दी वाले शांति दूत बैठे हैं ऐसी जगह शांत करेंगे कि न भजन करने लायक बैठ सकोगे न भोजन करने लायक सुना है वो
खास जगह देखकर ही सुताई करते हैं ।
यह सुन कर मैं वापस आ कर बैठ गया ' सबसे भला अपना घर '।

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#बेवकूफ
बेवकूफ या पागल
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हम जंगल से गुजर रहे थे कार में तीन ही थे सब हम उम्र
ढलती उम्र के जवान । अचानक कार का एक पहिया निकल गया स्पीड कम थी इसलिए कोई हादसा नहीं
हुआ । उतर कर देखा पहिया तो मिल गया परंतु नट ढीले होने के कारण राह में कहीं खो गये थे । समस्या ये हुई कि बिना नट के पहिया लगे कैसे ?
जंगल में कोई दुकान या साधन भी दिखाई नहीं दे रहा था
कुछ दूर धुआं उठता दिखा। मेरा एक साथी नारंग बोला-
जरूर वहां कोई घर या बस्ती होगी ।
जब वहां पहुंचे तो वो एक पागलखाना था । वहां बोर्ड पर लिखा था 'सावधान खतरनाक पागल यहां रखें गये है ।
भारी गेट पर मोटा ताला था । हम वापस लौटने लगे तभी एक आवाज आई ' सुनो कौन हो'। छितरी बिखरी दाड़ी
अधेड़ उम्र का दुबला सांवला वह व्यक्ति अस्पताल की ड्रेस में था । 'यार इससे करता बताना पागल दिख रहा है '
नारंग फुसफुसाया'
'आप बताईए तो सही समस्या क्या है शायद मैं आपकी मदद करूं यहां विराट जंगल में कोई बस्ती नहीं है '
'क्या है भाई मेरी कार का एक पहिया निकल गया है
नट खो गये हैं आसपास कोई गैराज होता तो काम बन
जाता 'मैने उसे समस्या बताई ।
"आप ऐसा करो तीनों पहियों से एक एक नट निकाल कर
चौथा पहिया कस लो आगे शहर में जाकर एक एक नट और कसवा लेना "उसने सुझाया ।
वाह भाई क्या आइडिया दिया आपने !
आप इतने इंटेलीजेंट है फिर पागलखाने में क्यो ? मैंने तारीफ और प्रश्न दोनों एक साथ किये ।
भाई साहब -
'मै पागल हूं बेवकूफ नहीं ' उसके उत्तर ने हमें स्तब्द कर दिया ।

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#घोंसला
उम्मीदों के घोंसले कहीं भी घर। बसा लेते हैं
जहां रोशनी भी नहीं वहां जिंदगी बसा लेते हैं.

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#शरारती

उस बच्चे की' बुद्धि परिक्षा' हो रही थी । पुरोहित जी ने एक कलम, छोटी सी छुरी और छोटा सा तराजू रखा था । बच्चा अगर कलम पकड़े तो पढ़ाई के क्षेत्र में आगे बड़ेगा जैसे डाक्टर , इन्जीनीयर ,वकील आई ए एस या बड़ा अफसर। अगर छुरी पकड़ता है तो फौज में या पुलिस में जाने का भविष्य है और अगर तराजू में हाथ लगाया तो व्यापार के क्षेत्र में जाने का भविष्य होता ।
परंतु उस बच्चे ने पहले कलम जेब में डाला फिर चाकू दूसरे जेब में रखा और फिर तराजू बगल में दबाकर
पुरोहित की पोथी छीनने लगा ।
मां बाप चिंतातुर हो कर पुरोहित (पंडित जी) की और ताकने लगे ।
पंडित जी हंसते हुए बोले "चिंता न करें जजमान आपका बेटा होशियार है बड़ा होकर बड़ा नेता बनेगा , बड़े बड़े पढ़े लिखे आ ए एस , गुन्डे बदमाश पुलिस सब उसकी जेब में होंगे । आज की परीक्षा से तो यही साबित
होता है। "

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(व्यंग)
#पतंग
राजनीति के आकाश में नेता जी की पतंग
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आसमान में इठलाती लहराती पतंग को देख
ऐसा महसूस होता है जैसे की उंचाई हासिल करके पतंग
अभिमान से फड़फड़ा रही है । परंतु ये नहीं भूलना चाहिए कि पतंग को हवा देने वाला उसका आका तो असल में जमीन पर है उसकी दशा को दिशा देने वाला ज़मीं आसमां तक का नियंता जमीन से ठुमकी दे रहा है ।
हमारे शहर के छुट भैया नेताओं का भी यह हाल है ।
ऊपर हाईकमान उनकी उड़ान को नियंत्रित करते हैं वो
राजनीति के आकाश में लहराते कभी कभी डगमगाते है।
आका की भी अपनी निजी औकात होती है । उनका
अपना धागा मांझा होता है । डोर की भी अपनी क्वालटी होती है । सलीम बादशाह की डोर है या राम प्रसाद
के द्वारा लाई गई है । राजनीति की पतंग की अपनी हवा
होती है कहीं कहीं लोभान की गंध में पतंग उठती है तो कभी कभी कहीं हवन सुवासित में तन जाती है ।
दरअसल कुशल नेता हवा का रूख देख पतंग को ढील देता है या लहराता है ।
पुराने समय में एक ही दल था एक ही हवा थी देश के पूरे आसमान में एक ही दल का राज होता था बस उस दल में घुसने का जुगाड लग गया मानो सारा आसमान उसका ।
परंतु अब फेसबुक , वाट्स एप का डिजिटल युग है मी टू का भी जोर इसलिए चाल चरित्र का भी ध्यान रखना जरूरी हो गया है । पतंग आसमान में होती है ताड़ने वाले
जमीन पर होते हैं ‌।शर्मा जी की पतंग वर्मा मेडम की मुड़ेर पर अटकी है या वही वहीं गुटया रही मिन्टो में हवा सारे
शहर में फ़ैल जाती है ।
पतंग में पुछल्ले का भी अपना रोल होता है, पुछ्ल्ले
भी पतंग को उंचाई देते इसलिए नेता अपने साथ अपने वजन के अनुसार पुछल्ले रखते हैं ।
हमारे शहर की राजनीति की पतंगों का यही हाल ।और
शायद सारे देश का भी यही हो ।

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#केवल
केवल एक सवाल
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#परिचय
करोना महामारी ने परिचय का तरीका और मयाने ही बदल दिये हैं । अब दूर से नमस्ते भली ।
हाथ मिलाने गले लगाने और गले पड़ने का युग बीत
गया ।
राजनीति में चरण वंदन का अब तक घटाटोप प्रकोप
रहा आया है । परंतु अब ये चलन भी खतरे में है ।
नेता जी भी अपने भक्तों से दूर से ही बात कर रहे हैं।
चरण स्पर्श कर न जाने कौन अपना उल्लू सीधा करने
माथे सहित वायरस धर जाते नेता जी शंकित हैं ।
चौरासी लाख यौनियों में अटकते भटकते मानव तन
धारण किया । फिर न जाने कितने गाड फादर टेम्प्रेरी
और परमानेंट बदले कितनों के लंगोटा धोये तब जाकर
टिकट प्राप्त किया । फिर गली गली हाथ पांव पकड़े।
ऐसी सडी गलियों में घूमे और जो फूटी आंखों से न सुहायें उन से परिचय किया । चाचा, दद्दा ,अम्मा , दीदी ,और भाभी कैसे कैसे परिचय । एक जगह तो भाई साहब नहीं थी संकरी गली की मलिन बस्ती थी भाभी जी कहा तो
कहन लगीं 'देवर जी मोड़ा (बच्चा)नर्दा में बैठो हो
जरा पौंद धुल दो वोट तो आपको ही देने हैं ।
ऐसे ऐसे कर्म करके एम एल ए (विधायक) बने और
मंत्री पद पाये अब तो स्मृति पटल से वो लोग वो बस्तियां सब सब विस्मृत कर दी हैं ।( सरल शब्दों में भाड़ में गये
साले पांच साल बाद देखेंगे )
मगर इस चार दिन की जिन्दगी में मंत्री पद ही सब कुछ नहीं है ।ध्येय ऊंचा होना चाहिए इसलिए मुख्यमंत्री पद
नज़रें इनायत हैं । विरोधी दल में परिचय की सेंध लगाई जा रही है । 'राजा' साहब से राम रहिम हो गई है
परिचय प्रगाढ़ हो फिर गोटी फेरें ।दूर से ही सही नमस्ते तो हुई 'अपुन भी बहुत ऊंची चीज हैं' , राजा साहब के पास बीस विधायक हैं और अपन को चाहिए केवल दस चाहिए
राज्य में अपनी सरकार झक मारकर ऊपर वाले हमको
'मुख्य मंत्री ' बनायेंगे।
परिचय गहन होना चाहिए ।

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#दिल
कौन रहता है यहां तन्हा
दो दिल साथ रहते हैं
एक तसल्ली देता है अक्सर
दूजे से फरियाद करते हैं.

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