Balatkar ki saja sirf Mout - 6 in Hindi Thriller by S G Murthy books and stories PDF | बलात्कार की सजा सिर्फ मौत - भाग 6

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बलात्कार की सजा सिर्फ मौत - भाग 6

विशाल और रीना मोबाइल में बातें कर रहे थे । विशाल रात को एंजॉय करने के लिए फॉर्म हाउस चलने को कहता है, पर रीना कल पर टाल देती है। 

दोनों की आवाज़ में थकान तो थी, लेकिन दोनों के भीतर बेचैनी साफ झलक रही थी। विशाल रीना से पूछता है: “रीना... उन दोनों को ठिकाने कब लगाना है?”

रीना ने तुरंत जवाब दिया, आवाज़ में अजीब-सा आत्मविश्वास था—“बहुत जल्द… बस थोड़ा इंतज़ार करो। एक बार उनको रास्ते से हटा दिया, तो हम दोनों आराम से शादी करेंगे… और अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जिएँगे।”

फोन के उस पार विशाल की सांसें भारी हो गईं। दिल में हल्की धड़कन के साथ कहता है, “रीना, सच कहूँ तो… मुझे बहुत डर लग रहा है। यहाँ मेरे पापा इस रिश्ते के खिलाफ खड़े हैं। पता नहीं आगे क्या होगा…”

रीना ने उसकी बातों में डर महसूस किया, पर उसकी आवाज़ पहले से ज्यादा दृढ़ थी, “विशाल! कुछ नहीं होगा। बस तुम मेरे साथ रहो। हम दोनों मिलकर सारी दुनिया जीत लेंगे। किसी की परवाह मत करो।”

लेकिन विशाल का डर वहीं का वहीं था, वह टूटता हुआ बोला—“रीना… अगर हम एक नहीं हो पाए ना… तो मैं अपनी जान...”

रीना, विशाल की बात तुरंत काटते हुए गुस्से से चीख पड़ती है, "विशाल ! फिर जान देने की बात कर रहे हो, तुम्हें मालूम है मुझे इस बात से नफरत है, आइंदा अपने जबान पर ये बात मत लाना, I leave you विशाल!

 कुछ सेकंड का सन्नाटा… फिर रीना की आवाज़ काँपने लगी, "अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं भी जिंदा नहीं रह पाऊंगी, याद रखना"

विशाल :"अच्छा, बाबा, ठीक है, सॉरी, सॉरी, सॉरी .... चलो अब फोन रखो मुझे नहाने जाना है (विशाल किस्स करता है)

रीना : "हां, ठीक है, मुझे भी फ्रेस होकर नहाने जाना है, ओके, लव यू" कहते हुए किस्स करती है ।

दोनों फोन रख देते हैं । 

विशाल और रीना जब भी एक-दूसरे के साथ समय बिताना चाहते, तो शहर की भीड़-भाड़ और नज़रों से दूर, विशाल के फार्म हाउस पहुँच जाते। वहाँ दोनों दो–तीन घंटे अकेले बिताते—पास आते, रोमांस करते, शारीरिक संबंध बनाते—और फिर बिना किसी को पता चले वापस लौट आते। यह जगह उनका निजी संसार थी, जहाँ न कोई रोकने वाला था और न कोई सवाल करने वाला।

विशाल का परिवार शहर के सबसे प्रभावशाली और अमीर घरानों में से एक था। उसके पिता प्रीतम मोटवानी का नाम ही शहर में पहचान के लिए काफी था। रईसों की सूची में उनका परिवार तीसरे या चौथे स्थान पर माना जाता था। उनका बिज़नेस बड़े पैमाने पर फैला हुआ था—उड़ीसा भर में उनकी एक हजार से भी ज्यादा ट्रक और पाँच सौ से अधिक लग्ज़री बसें दौड़ती थीं। परिवहन व्यवसाय में मोटवानी परिवार का बोलबाला था। साथ ही, पापाजी की राजनीतिक पकड़ भी मजबूत थी—स्थानीय नेताओं से लेकर केंद्र तक उनकी अच्छी पहुँच थी।

घर के माहौल में भी सब कुछ खुशहाल ही था। विशाल की दो छोटी बहनें थीं—एक 8 साल की और दूसरी 11 साल की। माँ, विशाल से बहुत प्यार करती थीं, जबकि पिता का झुकाव ज्यादा अपनी बेटियों की ओर था। कभी-कभी इसी बात पर भाई-बहनों के बीच छोटी-मोटी नोकझोंक हो जाती, लेकिन फिर भी घर में प्यार और अपनापन हमेशा बना रहता था। घर में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं थी—न सुख-सुविधाओं की, न प्यार की।


इधर, फोन रखने के बाद विशाल नहाने चला जाता है, वह रीना के ख्यालों में खो जाता है, विशाल नहाते हुए रीना से हुई पहली मुलाकात को याद करता है (फ्लैशबैक)

दो साल पहले की बात है, विशाल और रीना की मुलाकात एक मेले में हुई थी, मेले में विशाल अपनी दोनों बहनों को लेकर गया हुआ था, छोटी का नाम अंजना और बड़ी का नाम मोहिनी था । मेले में अंजना को बड़ा वाला झूला झूलना था, मोहिनी को झूले से डर लगता था ।

इधर रीना, अपने मम्मी पापा और अपने बड़ी बहन के साथ आई हुई थी । रीना को झूला झूलना बहुत अच्छा लगता था। रीना की दीदी को डर नहीं था पर उसे झूलने से उल्टियां होती थी । 

रीना झूले पर बैठने के लिए टिकट कटा रही थी । विशाल की नजर अचानक रीना पर पड़ती है, विशाल रीना के खूबसूरत चहरे को देखे जा रहा था । रीना में सुंदरता तो थी ही, साथ में चेहरे पर एक आकर्षण था, कोई एक बार देखता तो दुबारा जरूर देखता ।

विशाल को रीना से बात करने का यही मौका अच्छा लगता है, वह अंजना को लेकर सीधे रीना के नजदीक आ कर पूछता है "आप अकेले झूल रही है, या कोई साथ में है?"

रीना अजीब नजरों से देखते हुए : नहीं, मैं अकेले झूल रही हूं"

विशाल : "सुनिए ना, ये मेरी बहन अंजना है, इसे अकेले झूलने में डर लगता है, बड़ी वाली को झूले से ही डर लगता है, प्लीज आप अंजना को आपके साथ बैठा लेंगी क्या?

रीना, विशाल की बातों को सुनकर मुस्करा देती है, वह अंजना को देखती है, बहुत क्यूट दिख रही थी, अंजना के गालों को प्यार से पकड़कर कहती है "ठीक है, बैठा दीजिए ...  आप अपने साथ क्यों नहीं बैठा लेते?"

"मुझे, झूले में बैठने से सर चकराता है और उल्टियां होने लगती है" विशाल वास्तव में रीना के नजदीक और पहचान बढ़ाने के इरादे से झूठ बोल रहा था। 

रीना हंसते हुए : "अच्छा, ठीक है, लाइए टिकट का पैसा, हम दोनो का टिकट साथ में ले लेती हूं"

रीना की मुस्कराहट और उसका खिल खिलाकर हंसना, विशाल को इतना प्यारा लगता है, जैसे हीरों की वर्षा हो रही हो। 

विशाल, तुरंत, जेब से पैसे निकाल कर रीना को दे देता है, रीना, टिकट लाइन में आगे बढ़ते जा रही थी, विशाल उसे देखे जा रहा था, उसका मन कहने लगता है "कितनी सुंदर है यार, कहां रहती है, बैगनी कलर की सलवार सूट पर सफेद दुपट्टा, वाह ! क्या खूब"

झूला, झूल लेने के बाद, दोनो उतर जाते हैं,  इसके बाद से विशाल अपनी बहनों को लेकर,  रीना के परिवार के साथ पूरा मेला घूमता है । 

अंजना और रीना आपस में घुल मिल जाते है । बातों ही बातों में विशाल उनके पिता से रीना के बारे में जान लेता है, यहां तक की उसके गांव और घर का पता भी पूछ लेता है ।

रीना के मां बाप और दीदी को विशाल और उनकी दोनों बहनों से मिलकर खुशी होती है, उसके पापा तो विशाल को घर भी आने के लिए कह देते है ।

विशाल उस मेले को आज भी नहीं भूल पाया है, उस मेले ने एक दूसरे के दिल में प्यार का नन्हा पौधा उगाने में मदद की और कुछ ही दिनों में इन दोनों के बीच प्यार का सिलसिला शुरू हो जाता है और एक दूसरे के लिए मर मिटने की कसमें खाई जाती है ।

दूसरे दिन सुबह, न्यूज पेपर वाला, विशाल के घर पेपर डाल कर चला जाता है। आज के पेपर के फ्रंट पेज पर अक्षय के मौत की खबर छाई हुई थी.....