Balatkar ki saja sirf Mout - 10 in Hindi Thriller by S G Murthy books and stories PDF | बलात्कार की सजा सिर्फ मौत - भाग 10

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बलात्कार की सजा सिर्फ मौत - भाग 10

भाग 10:

भावेश के कार पीछे लगभग आधा किलोमीटर दूर एक और कार उन्हें फ़ॉलो कर रही थी, जिसे विशाल ड्राइव कर रहा था ...... 

भावेश उत्साहित था, कहता है: "वैसे जानेमन को किस नाम से पुकारूं? 

रीना अपने होंठों पर एक कुटिल मुस्कान बिखेरती हुई : "मुझे, "रीना" बुला सकते हो?

सड़क पर सामने एक ब्रेकर आने से भावेश कार को स्लो करके ब्रेकर पार करते हुए बोलता है: "अच्छा, नाम रखा है, असली है या नकली"

रीना हंसते हुए : "क्या फर्क पड़ता है, भावेश जी"

भावेश पूछता है : "रीना ! क्या इसी मोड़ से मुड़ना है?"

रीना : "हां हां, इसी मोड़ से" 

भावेश कार को लेफ्ट साइड में मोड कर उस रास्ते में कार को दौड़ा देता है। 

रीना भावेश को मिरर में देखते हुए बोलती है, "भावेश जी! आज मैंने मोबाइल लाना भूल गई हूं,  आपका मोबाइल देंगे?, एक फोन करना था"

भावेश अपने कमीज की जेब से अपनी मोबाइल, जो बंद थी,  रीना को देते हुए कहता है "रीना इसे स्टार्ट कर लेना, बात होने के बाद मोबाइल फिर से बंद कर देना, घर वाले फोन करके डिस्टर्ब करते हैं"

रीना "ठीक है" कहते हुए फोन ले लेती है। रीना मोबाइल स्टार्ट करती है। स्क्रीन लॉक था, रीना भावेश से पासवर्ड पूछती है।

भावेश पासवर्ड बताता है, "423596"

रीना पासवर्ड डाल कर स्क्रीन ओपन करती है। कुछ क्षण बाद रीना बिना किसी का नंबर डायल किए भावेश को सुनाने के लिए, मोबाइल को कान में लगाकर झूठी बातें करती है, "हां, काका, मैं रीना बोल रही हूं .... हां हां ये नंबर मेरे फ्रेंड का है..... सुनो न काका.....आज मुझे घर आने में देरी हो जायेगी, टेलीफोन एक्सचेंज में काम ज्यादा है ....., देर होगी, मेरा इंतजार मत कीजिए ... आ जाऊंगी, आप लोग घर लॉक करके सो जाइए, घर की चाबी है मेरे पास"

रीना की बात सुन कर भावेश मन ही मन बोलता है, "घर वालों को टेलीफोन एक्सचेंज बोलकर इस धंधे में लगी हुई है।"

बात होने के बाद रीना भावेश को मोबाइल वापस कर देती है। भावेश लगातार कार ड्राइव कर रहा था। 

जैसे ही, कार लेफ्ट साइड में मुड़ कर दूसरी दिशा में जाने लगती है, तो विशाल समझ जाता है कि रीना ने भावेश को फॉर्म हाउस जाने के लिए राजी कर लिया है।

विशाल लगातार अपनी कार से भावेश के कार को फॉलो करता हुआ पीछे पीछे आ रहा था। एक जगह वह अपनी कार को दूसरे रास्ते से फॉर्म हाउस की ओर दौड़ा देता है।

प्लान के अनुसार विशाल को उनके आने के पहले फॉर्म हाउस पहुंचना था। 

इधर कार में रीना बोलती है, "भावेश, अब अपनी मंजिल आने वाली है, वो जो दूर पर खेतों के बीच जो मकान दिख रहा है, उसी फॉर्म हाउस में जाना है"

भावेश उस तरफ देखकर बहुत उत्साहित होकर कहता है "वाह, मेरी जान! क्या जगह है, बिल्कुल सुनसान, सच में मजा आ जाएगा"

रीना एक कुटिल मुस्कान के साथ कहती है, "हां, इसलिए तो मैं कह रही थी कि... कम पैसे में पूरा मजा लेना है तो चलो मेरे साथ ..... और तुमने मान लिया..... अब मजा भी तुम्हें ही मिलेगा..... कार में होते तो पूरे कपड़े उतार भी नहीं पाते, अब यहां तुम्हें पूरी आजादी होगी"

रीना की बातें भावेश को और उत्तेजित कर रही थी, उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए थे, वह सोच सोच कर मन ही मन खुश हो जाता है।

फॉर्म हाउस के नजदीक पहुंचने पर रीना कहती है "भावेश, कार को अंदर मत लेकर जाना, यहीं सड़क पर खड़ा कर दीजिए, यहां से पैदल मकान तक जाएंगे"

भावेश : "क्यों? ऐसा?

रीना मुस्कुराते हुए बोलती है, तुम्हें तो मालूम है ये मेरे फ्रेंड का फॉर्म हाउस है, वह बहुत शक्की किस्म का है, कच्ची सड़क पर कार के पहियों के निशान देख कर मुझसे पूछेगा का तो जवाब देना मुश्किल होगा"  

भावेश : "अच्छा ये बात है, रीना तुम बहुत स्मार्ट हो"

रीना मुस्करा देती है। भावेश ठीक फॉर्म हाउस के ठीक सामने सड़क किनारे, बिना पहिए को जमीन में उतारे सड़क पर खड़ा कर देता है। 

दोनों कार से उतर जाते हैं, भावेश ऑटो लॉक का बटन प्रेस करके कार को लॉक कर देता है।

फॉर्म हाउस में विशाल के पहुंचाने के 15 मिनट बाद, भावेश और रीना फॉर्म हाउस पहुंचे थे। वह दूसरे रास्ते से फॉर्म हाउस पहुंच चुका था।

फॉर्म हाउस शहर से बहुत दूर था, जिस सड़क से ये लोग आए थे वो सड़क आगे "रायगढ़ा कृषि महा विद्यालय में जा कर समाप्त हो जाता हैं, इसलिए रात को 9.00 बजे के बाद इस तरफ कोई चहल पहल नहीं रहती, रास्ता सुनसान रहता है।

फॉर्म हाउस में जाने के लिए जो सड़क किनारे बड़ी गेट होती है उसे रीना खोल देती, दोनों अंदर आ जाते है, रीना फिर गेट को बंद कर देती है। दोनो, पैदल चलते हुए मकान की ओर जाने लगते हैं।

चांदनी रात होने से कच्चे रास्ते में चलने में दोनों को कोई परेशानी नहीं हो रही थी, समय 10.30 बज गए थे, सुनसान और शांत जगह होने के कारण झींगुर और कीड़ों की हल्की आवाजें कानों में सुनाई दे रही थी, जो उस माहौल को और डरावना बना रही थी।

बीच बीच में अचानक पक्षियों के फड़फड़ाने की आवाजें दोनों को चौंक देती। 

करीब 100 मीटर चलने के बाद, पूरा अंधेरे में डूबे हुए मकान के सामने पहुंच जाते हैं। दोनों दरवाजे के पास आकर खड़े हो जाते हैं। रीना अपनी चाबी से लॉक खोल देती है और अंदर आकर लाइट जला देती है। लाइट जलने के बाद भावेश भी अंदर आजाता है।

मकान में  तीन कमरे अटेच्ड L&B, एक हाल, किचन और मकान के पीछे एक बहुत बड़ा गोदाम बना हुआ था, जहां खेत से काटे जाने वाले फसल, फल, सब्जी आदि को रखते थे। 

रीना, हाल के सामने बने एक बेडरूम को खोल कर लाइट जलाती है और भावेश को अंदर आने को कहती है। भावेश के अंदर आते ही रीना कमरे के दरवाजे को सटा देती है।

भावेश मकान में घुसते ही उसके सारे शरीर की सारी इंद्रियां सक्रिय हो जाती है, कमरे के अंदर घुसते ही वो और भी ज्यादा एक्साइटेड हो जाता है।

जब साथ में एक सुंदर युवती हो, सुनसान मकान हो तो उत्तेजित हो जाना स्वाभाविक है।

कमरा बहुत सुंदर ढंग से सजा हुआ था, डबल बेड, तकियों के साथ सजी हुई थी। दीवार में सामने LED TV लगा हुआ था। दीवारों पर अलग अलग कलर के पेंटिंग टंगे हुए थे।

बेड के बगल में एक टेबल रखी हुई थी जिसमे एक गुलदस्ता, पानी की दो तीन बॉटल और TV का रिमोट रखा हुआ था ।

रीना कमरे में पहुंचते ही, बाथरूम में घुस जाती है, फ्रेस हो कर पांच मिनट बाद बाहर आती है, इस बीच भावेश अपनी कमीज खोल कर बिस्तर पर दोनों हाथों और पैरों को फैला कर लेट जाता है।

जैसे ही, रीना बाथरूम से बाहर आती है, भावेश उसकी तरफ लपक कर अपनी बाहों में भरकर उसके गालों को चूमने लगता है। रीना कोई प्रतिक्रिया नहीं देती। वह कहती है,
"भावेश, इतनी जल्दी भी क्या है, आराम से मजे लो"

कहते हुए, भावेश को गले लगा कर उसके बनियान को शरीर से हटाने की कोशिश करती है। इसके बाद तो भावेश खुद अपने पेंट का बेल्ट खोलकर अलग कर देता है और फिर अपनी पेंट उतार देता है। 

भावेश, रीना को माथे पर किस करता हुआ, उसके शरीर को सहलाने लगता है और साथ ही रीना के ब्लाउज को खोलने लगता है।  

तभी, कमरे का दरवाजा धीरे से धकेल कर चुपचाप विशाल आ जाता है। भावेश विशाल को देख लेता है, वह कुछ समझ पाता उसके पहले विशाल उसे दबोच लेता है ..... 

रीना और विशाल भावेश के साथ क्या करने वाले हैं?

क्रमशः ......