Tera Mera Safar - 12 in Hindi Love Stories by Payal Author books and stories PDF | तेरा मेरा सफ़र - 12

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तेरा मेरा सफ़र - 12

अगले दिन होटल में हल्की सी गहमागहमी थी — वही आवाज़ें, वही काम, पर दोनों के दिलों में कुछ नया था।

कियारा ने कोशिश की कि खुद को सामान्य दिखाए, मगर हर बार जब अयान सामने आते, उसकी साँसें जैसे थम जातीं।
उसे लगता था,
उनकी हर नज़र अब कुछ कहती है — कुछ ऐसा जो लफ़्ज़ों से नहीं, एहसासों से महसूस होता है।

कॉफी मशीन के पास खड़ी कियारा सोच रही थी, “क्या सच में वो भी कुछ महसूस करते हैं? या ये सिर्फ़ मेरा वहम है…”
तभी पीछे से अयान की आवाज़ आई —

“कॉफी… ब्लैक, बिना शुगर?”

वो पलटकर मुस्कुराई, “आपको याद है?”
अयान ने हल्के से कहा, “कुछ बातें याद रह ही जाती हैं… ख़ासकर जो दिल के आसपास से गुज़रती हैं।”

उसका दिल ज़ोर से धड़का, पर उसने मुस्कान में छिपा लिया।
दोनों ने कुछ पल की खामोशी में कॉफी पी — पर वो खामोशी भी अब बात करने लगी थी।

दोपहर को होटल के कॉन्फ्रेंस हॉल में एक presentation थी।

कियारा काम में इतनी खोई थी कि उसे पता ही नहीं चला, अयान दूर से उसे देख रहे हैं।
वो उसकी बातों, उसके confidence, उसकी sincerity में कुछ ऐसा देख रहे थे

जो सिर्फ़ एक employee में नहीं, बल्कि किसी ऐसे इंसान में था जो उनके भीतर तक उतर गया था।

प्रेज़ेंटेशन खत्म हुआ, तो सबने उसकी तारीफ़ की।
अयान ने सबके सामने मुस्कुराते हुए कहा, “Good job, Kiara. तुम्हारे words में clarity होती है, और दिल की बात झलकती है।”

कियारा ने बस इतना कहा, “Thank you, sir,” पर उसकी आँखों में एक हल्की सी चमक थी — जैसे उसने उस तारीफ़ में कुछ और भी सुन लिया हो।

शाम ढली तो अयान ने terrace पर जाकर कुछ देर अकेले बैठना चुना।

समंदर की लहरें दूर से दिख रही थीं, और हवा में वही सुकून था जो उसे सिर्फ़ कियारा के आसपास महसूस होता था।
वो खुद से सोचने लगे — “क्या मैं सच में उससे जुड़ने लगा हूँ? या ये बस एक खूबसूरत गलती है?”

नीचे लॉबी में कियारा flowers decorate कर रही थी।
अयान ने नीचे झाँका — और उसे देखा।
वो पलभर के लिए मुस्कुराए बिना नहीं रह सके।

कियारा ने भी ऊपर देखा, और दोनों की नज़रें टकराईं।

वो नज़रें कुछ पल तक ठहरी रहीं —
ना किसी ने कुछ कहा, ना किसी ने कुछ पूछा, पर दिलों ने बहुत कुछ कह दिया था।

उस रात कियारा ने अपनी डायरी में लिखा —

“कभी-कभी नज़रों का एक ही पल, हज़ार अल्फ़ाज़ों से भी गहरा महसूस होता है।
वो खामोशियाँ, वो हल्की मुस्कान, वो अनजाने एहसास — सब मिलकर एक कहानी कहते हैं।
आज उसकी नज़रों ने जो कुछ कहा, वो शायद शब्दों में नहीं, रूह के सबसे अंदरूनी हिस्से में उतर गया।
शायद वही मेरा जवाब था, जिसकी तलाश मैं अनजाने में कर रही थी,
वो पल जो दिल से दिल तक बिना शब्दों के पहुँचा,
और छोड़ गया एक अनकहा सुकून, जो बस महसूस किया जा सकता है।”


To Be Continued…

“या ये नज़रों की ख़ामोश भाषा अब शब्दों में इज़हार बन पाएगी,
या फिर वही अनकहे अल्फ़ाज़, जो दिल के सबसे गहरे हिस्से में दबे हैं,
कभी किसी मोड़ पर कहानी को अधूरा छोड़ देंगे।
क्या ये एहसास अपने पंख फैलाकर उड़ान भर पाएगा,
या बस खामोशियों की सरगोशियों में सिमट कर रह जाएगा?
हर एक पल, हर एक नज़र, जैसे किसी अनकहे जवाब की तलाश में है,
जो सिर्फ़ वही समझ सकता है, जो दिल से महसूस कर सके।”