अगली सुबह कियारा हमेशा की तरह होटल पहुँची तो माहौल कुछ अलग ही था। रिसेप्शन लॉबी फूलों की खुशबू और हल्की-सी भागदौड़ से भरी थी। स्टाफ कॉन्फ्रेंस की तैयारियों में जुटा हुआ था। हर किसी के चेहरे पर हल्की-सी घबराहट और उत्साह साफ़ झलक रहा था।
कियारा ने रिसेप्शन काउंटर सँभालते हुए अपनी साँसों को
स्थिर करने की कोशिश की। पर दिल में एक अजीब-सा खिंचाव था—शायद रिया से मुलाक़ात के बाद मन में उठी नई उम्मीदें अब उसे हर चीज़ में कोई इशारा खोजने पर मजबूर कर रही थीं।
दोपहर तक कुछ मेहमान आ चुके थे। कियारा हर बार की तरह मुस्कान के साथ उनका स्वागत करती रही। तभी दरवाज़ा खुला और कुछ लोग अंदर आए। उनमें से एक शख़्स ने कियारा का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। लंबा कद, हल्की दाढ़ी, आँखों में गहराई… उसकी चाल में ऐसा आत्मविश्वास था जो आसपास की हलचल को भी धीमा कर दे।
कियारा ने पेशेवर अंदाज़ में मुस्कुराते हुए कहा—“गुड आफ्टरनून, सर। वेलकम टू सी-व्ह्यू होटल। आपके नाम से बुकिंग है?”
उसने नज़र उठाई। कुछ सेकंड के लिए उनकी आँखें मिलीं। जैसे वक्त थम-सा गया हो।
“आदित्य मेहरा,” उसने अपना नाम बताते हुए रजिस्टर पर झुककर साइन किया।
कियारा ने कंप्यूटर स्क्रीन पर उसकी बुकिंग चेक करते हुए नोटिस किया कि उसका रूम वही था जिसे होटल का सबसे खूबसूरत सी-फेसिंग व्यू कहा जाता है। दिल ने जैसे अनजाने में कोई धड़कन छोड़ दी।
“आपका रूम 302 है, सर। यह आपकी की-कार्ड,” कियारा ने शांति बनाए रखते हुए कहा।
आदित्य ने कार्ड लेते हुए हल्की मुस्कान दी—“थैंक यू… मिस?”
“कियारा,” उसने धीमे से जवाब दिया।
सिर्फ़ उसका नाम सुनकर भी जैसे कोई अनकहा रिश्ता बन रहा हो।
शाम को कॉन्फ्रेंस की मीटिंग्स का शोर खत्म होने लगा। कियारा रजिस्टर अपडेट कर रही थी कि आदित्य लॉबी में आ गया। हाथ में कॉफी का कप, चेहरा थकान भरा मगर मुस्कान अब भी वही।
“आपकी शिफ्ट इतनी देर तक?” उसने सहजता से पूछा।
कियारा चौंकी। मेहमानों से इस तरह की बातचीत कम ही होती थी।
“हाँ, आज कॉन्फ्रेंस की वजह से थोड़ा लंबा दिन है,” उसने हल्की हँसी के साथ कहा।
आदित्य ने पास की खाली कुर्सी की ओर इशारा किया—“अगर आपको बुरा न लगे तो कॉफी यहीं पी सकता हूँ?”
कियारा ने सिर हिला दिया। दोनों के बीच कुछ पल की चुप्पी रही। सिर्फ़ कॉफी की हल्की महक और दूर से आती लहरों की आवाज़।
“आप यहाँ कब से काम कर रही हैं?” आदित्य ने बातचीत शुरू की।
“तीन साल से,” कियारा ने जवाब दिया।
“और सपने?” उसके सवाल में अजीब-सी सच्चाई थी।
कियारा एक पल को रुक गई। इतने सीधे सवाल की उम्मीद नहीं थी।
“सपने तो… लिखने के,” उसने धीरे से कहा।
आदित्य की आँखों में चमक आ गई—“लिखते हैं आप?”
कियारा ने हल्की मुस्कान दी—“बस… कभी-कभी।”
“कभी-कभी को हमेशा बनाइए। दुनिया को अच्छी कहानियों की ज़रूरत है,” आदित्य ने गहराई से कहा।
कियारा के दिल में जैसे कोई बंद दरवाज़ा खुल गया। रिया की बातें, समंदर का सुकून और अब आदित्य के शब्द—सब मिलकर उसके अंदर छुपे लेखक को पुकार रहे थे।
रात गहराने लगी, लॉबी खाली हो गई। आदित्य ने उठते हुए कहा—“कल कॉन्फ्रेंस के बाद अगर आप फ्री हों तो बीच पर मिलने का मन है। शायद आपकी कहानी वहीं से शुरू हो।”
कियारा कुछ कह नहीं पाई। बस हल्की-सी हँसी के साथ सिर झुका दिया।
कमरे में लौटते वक्त उसका दिल तेज़ धड़क रहा था।
क्या ये बस एक मेहमान की दोस्ताना बातें हैं?
या सच में ज़िंदगी उसके लिए कोई नया सफ़र लिख रही है?
खिड़की से बाहर दिखते समंदर को देखकर उसने खुद से फुसफुसाया—
“शायद ये वही मोड़ है, जिसका इंतज़ार था…”
To Be Continued…
कल का बीच सिर्फ़ एक मुलाक़ात होगा, या कियारा की अधूरी कहानियों का पहला अध्याय?