Tera Mera Safar - 8 in Hindi Love Stories by Payal Author books and stories PDF | तेरा मेरा सफ़र - 8

Featured Books
  • જીવન પથ - ભાગ 33

    જીવન પથ-રાકેશ ઠક્કરભાગ-૩૩        ‘જીતવાથી તમે સારી વ્યક્તિ ન...

  • MH 370 - 19

    19. કો પાયલોટની કાયમી ઉડાનહવે રાત પડી ચૂકી હતી. તેઓ ચાંદની ર...

  • સ્નેહ સંબંધ - 6

    આગળ ના ભાગ માં આપણે જોયુ કે...સાગર અને  વિરેન બંન્ને શ્રેયા,...

  • હું અને મારા અહસાસ - 129

    ઝાકળ મેં જીવનના વૃક્ષને આશાના ઝાકળથી શણગાર્યું છે. મેં મારા...

  • મારી કવિતા ની સફર - 3

    મારી કવિતા ની સફર 1. અમદાવાદ પ્લેન દુર્ઘટનામાં મૃત આત્માઓ મા...

Categories
Share

तेरा मेरा सफ़र - 8


अगली सुबह होटल के conference hall में activity तेज़ थी। Event meeting का दिन था — और आज कियारा को अयान के साथ बाहर जाना था।
उसने mirror में खुद को आख़िरी बार देखा — सादगी में सलीका, और आँखों में हल्का nervous excitement।
“Professional रहना है, बस काम पर ध्यान देना है,” उसने खुद से कहा, पर दिल कुछ और ही सोच रहा था।

अयान हमेशा की तरह punctual थे। “Ready?” उन्होंने संक्षिप्त मुस्कान के साथ पूछा।
कियारा ने सिर हिलाया, “Yes, sir.”
दोनों साथ लिफ्ट से नीचे उतरे। रास्ते भर हवा में हल्की खामोशी थी, पर वो खामोशी अजीब नहीं लग रही थी — जैसे दोनों को उसी में सुकून मिल रहा हो।

गाड़ी में बैठते ही अयान ने window खोल दी। समंदर की नम हवा अंदर आई, और कियारा की चुन्नी हल्के से उड़कर उनके हाथों को छू गई।
वो झट से संभालने लगी, “I’m sorry!”
अयान हल्के से मुस्कुराए, “It’s okay… हवा भी कभी-कभी अपनी बातें खुद कह जाती है।”
कियारा के होंठों पर हल्की मुस्कान आ गई — शायद वही पल था जब उसकी धड़कन ने एक अनकही बात कह दी थी।

मीटिंग venue पर पहुँचकर दोनों ने क्लाइंट से मुलाकात की।
अयान का confident और composed अंदाज़ देखकर कियारा एक बार फिर उनके professionalism की admirer बन गई।
वो जिस सहजता से हर बात संभालते, हर स्थिति को शांत अंदाज़ में manage करते — वो सब उसके दिल में उतर रहा था।

ब्रेक के दौरान, दोनों बालकनी में खड़े थे।
नीचे समुद्र का वही किनारा फैला था, जहाँ कुछ दिन पहले कियारा अकेली आई थी।
वो धीरे से बोली, “Aapko कभी ऐसा लगता है कि ज़िंदगी कुछ कहने से पहले ही अपने रास्ते खुद बना लेती है?”
अयान ने थोड़ा रुककर कहा, “कभी-कभी हाँ… और कभी-कभी, जो रास्ता हम नहीं चुनते, वही हमें चुन लेता है।”

उनकी ये बात जैसे कियारा के दिल में उतर गई।
वो कुछ कह नहीं पाई, बस उनकी ओर देखती रही।
अयान ने भी नज़रें झुकाकर कप से एक सिप लिया — शायद वो भी कुछ महसूस कर रहे थे, पर कह नहीं सकते थे।

वापसी की गाड़ी में हल्की बारिश शुरू हो गई थी।
कियारा ने खिड़की के बाहर हाथ बढ़ाया, गिरती बूंदों को महसूस किया।
अयान ने देखा, फिर धीमे से बोले, “बारिश हमेशा तुम्हें पसंद रही है न?”
वो मुस्कुराई, “हाँ… इसमें एक अजीब सी सच्चाई है — जैसे हर बूंद कुछ पुराना धोकर नया बना देती है।”

कुछ देर दोनों चुप रहे। बारिश की आवाज़ और गाड़ी की रफ़्तार ने उस पल को और गहरा बना दिया।
कियारा ने महसूस किया कि अयान के साथ होने पर हर खामोशी भी meaningful लगती है।
और अयान की नज़रों में जैसे एक हल्का-सा softness था — जो शायद अब तक किसी ने notice नहीं किया था।

होटल लौटते वक्त दोनों ने बस एक बार नज़रें मिलाईं — बिना किसी शब्द के, बिना किसी reason के…
पर वो एक पल, जैसे किसी लंबे सफ़र की शुरुआत थी।

उस रात कियारा ने अपनी diary में लिखा —

> “कुछ नज़रें बोलती नहीं, पर सब कह जाती हैं…
शायद आज, मेरे दिल ने उसकी ख़ामोशियों को सुन लिया।”



 To Be Continued…

क्या अयान भी अब इन अनकहे एहसासों की आहट महसूस कर रहे हैं,
या कियारा का दिल फिर किसी ख़ामोशी में ही उलझा रह जाएगा?