Terea mera safar - 4 in Hindi Love Stories by Payal Author books and stories PDF | तेरा मेरा सफ़र - 4

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तेरा मेरा सफ़र - 4




अगली सुबह होटल में हल्की हलचल थी। कॉन्फ़्रेंस के लिए मेहमान आ रहे थे, स्टाफ तैयारी में जुटा हुआ था। कियारा ने रिसेप्शन संभाला, लेकिन उसका मन पिछली शाम की beach की मुलाक़ात में ही उलझा हुआ था। आदित्य की बातें और अयान के बारे में उसकी तारीफें बार-बार उसके दिमाग़ में घूम रही थीं।

लॉबी की हल्की हलचल में कियारा ने देखा कि अयान सीधे अपने ऑफिस की तरफ जा रहे थे। कोई booking, कोई formalities नहीं—बस उनकी calm और confident presence ही सबका ध्यान खींच रही थी।

कियारा का दिल अनायास तेज़ धड़क गया। आदित्य की बातें उसकी याद में गूँज रही थीं—“अयान… वही।” उसे पहली बार महसूस हुआ कि आदित्य ने जिस तरह से तारीफ की थी, वह सच में कितनी सही थी। अयान गंभीर, पर approachable; शांत, पर हर चीज़ पर नजर रखने वाले।

कियारा अपने काम में व्यस्त होने की कोशिश कर रही थी, लेकिन हर बार उसकी नज़रें अनायास अयान की तरफ लौट रही थीं। उसने सोचा, “इतना सब कुछ देखकर भी, क्यों लगता है कि वो सिर्फ़ काम से जुड़े इंसान से ज्यादा हैं?”

कॉन्फ़्रेंस में भी अयान पूरी तरह professional और focused थे। उन्होंने casually staff से बातें की, मेहमानों का ध्यान रखा, और हर छोटी-छोटी detail पर नजर डाली। उनकी calm aura और subtle gestures ने कियारा के दिल में अजीब सा आकर्षण जगाया। उसे महसूस हुआ कि वह सिर्फ़ काम में perfection नहीं, बल्कि हर पहलू में integrity और warmth रखते हैं।

दोपहर होते-होते होटल की हलचल थोड़ी कम हुई। कियारा ने लॉबी की तरफ देखा और बाहर की हल्की हवा में झुककर थोड़ी देर खड़ी रही। समंदर की हल्की लहरें, दूर से आती हवा, और अयान की subtle presence—सब मिलकर उसके मन में अनजाने एहसास जगा रहे थे।

कियारा ने खुद से कहा, “क्या सच में यही वही इंसान है, जिसकी आदित्य ने तारीफ की थी? इतनी तारीफ के बाद भी, उसकी simplicity और calmness मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित कर रही है।”

शाम को लॉबी में हल्की रोशनी थी, और अयान अपने office से बाहर आए। उनका चलना, उनकी हल्की मुस्कान, और एकदम natural aura—कियारा अनायास उनकी तरफ देखती रही। उसकी धड़कनें तेज़ हो रही थीं, पर वह खुद को शांत रखने की कोशिश कर रही थी।

कुछ पल दोनों बस एक-दूसरे की तरफ देखते रहे। कियारा ने महसूस किया कि ये सिर्फ़ professional interaction नहीं, बल्कि अनजाने आकर्षण का पहला अहसास था। आदित्य की बातें अब पूरी तरह अर्थपूर्ण लग रही थीं।

रात होते-होते कियारा खिड़की से बाहर देख रही थी। समंदर की हल्की चमक और हवा में तैरते फूलों की खुशबू ने उसकी सोच को और गहराई दी। उसे महसूस हुआ कि ये सिर्फ़ coincidence नहीं था—जैसे ये hotel और ये समुद्र, सब कुछ उसके लिए एक नया अध्याय खोलने वाला था।

कियारा ने धीरे से खुद से फुसफुसाया,

समंदर की लहरों में, खोई मेरी सोचें,
हर उठती लहर में, कोई अनकहा राज़ बोलें।
ठंडी हवा से जब छूती है मेरी तन्हाई,
लगता है जैसे दिल की धड़कनें भी ढूंढें कोई परछाई…
शायद ये वही मोड़ है, जिसका इंतज़ार था…”

To Be Continued…

क्या कियारा और अयान की पहली बातचीत सिर्फ़ professional ही रहेगी, या कुछ ऐसे पल आएंगे जो उनके बीच अनजाने एहसास जगाएँगे?