Tera Mera Safar - 11 in Hindi Love Stories by Payal Author books and stories PDF | तेरा मेरा सफ़र - 11

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तेरा मेरा सफ़र - 11



अगली सुबह होटल में हल्की-सी ठंडक थी। बारिश थम चुकी थी, पर हवा में अब भी वही नमी थी — जैसे बीती रात की बातों की यादें अब भी तैर रही हों।

कियारा ने रिसेप्शन काउंटर संभालते हुए खुद को busy रखने की कोशिश की, पर हर कुछ मिनटों में उसका ध्यान भटक ही जाता।

हर बार जब किसी ने अयान का नाम लिया, उसका दिल हल्का-सा धड़क उठता।

“कियारा,” पीछे से आई आवाज़ ने उसे चौंका दिया।
अयान सामने खड़े थे — हमेशा की तरह calm, पर उनकी आँखों में आज कुछ अलग था।

“Sir?” उसने मुस्कुराने की कोशिश की।
“आज एक special guest आ रहे हैं, मैं चाहता हूँ तुम personally उनकी welcome arrangement संभालो। तुम्हारा approach clients को comfort देता है।”

कियारा ने सिर हिलाया, “Sure, sir.”
पर उसके मन में सवाल था — क्या वो सच में बस work की बात कर रहे हैं, या उनके लहजे में कुछ और छिपा था?

दिनभर तैयारी चलती रही। अयान बार-बार updates लेने आते रहे। हर बार उनकी नज़रों और शब्दों के बीच एक अनकही softness थी, जो कियारा महसूस कर रही थी।
लंच के वक्त,
जब दोनों थोड़ी देर के लिए अकेले थे, अयान ने casually पूछा, “कभी सोचा है, किसी के साथ काम करते-करते कब वो हमारी सोच का हिस्सा बन जाता है?”

कियारा ने पलभर को उनकी तरफ देखा — “कभी-कभी सोचा है… और कभी-कभी, बस महसूस किया है।”
दोनों मुस्कुराए, पर उस मुस्कान में अजीब-सी गहराई थी।

शाम ढली तो होटल की lights एक सुनहरी चमक में डूब गईं।
कियारा balcony के पास खड़ी थी, जहां से समंदर दिखता था।
वो अपनी diary के पन्ने पलट रही थी, तभी अयान पास आए।
“तुम लिखती हो?”
वो थोड़ा झिझकी, “हाँ… जब दिल में बातें ज़्यादा हों, तो शब्द ही सहारा बनते हैं।”
“Interesting,” अयान ने कहा, “कभी पढ़ाऊँ तो बुरा लगेगा?”
कियारा ने हल्के से मुस्कुराया, “शायद नहीं… अगर वो शब्द किसी ऐसे को समझ में आएँ जो उन्हें महसूस कर सके।”

एक पल को दोनों की नज़रें मिलीं।
हवा में वो अजीब-सी खामोशी थी — जो बोझिल नहीं, बल्कि खूबसूरत थी।

अयान ने धीमे स्वर में कहा, “कभी-कभी जो कह नहीं पाते, वही सबसे सच्चा होता है।”
कियारा की आँखों में नमी सी तैर गई। “तो क्या आपको भी कुछ ऐसा लगता है जो कहा नहीं जा सकता?”

अयान ने कुछ नहीं कहा, बस हल्की मुस्कान दी और खिड़की से बाहर देखने लगे।

उस पल में, दोनों के बीच कोई वादा नहीं हुआ, कोई इज़हार नहीं हुआ —
पर रूहों के बीच एक दस्तक ज़रूर गूंज गई।

रात को, जब होटल का शोर थम चुका था, कियारा ने diary में लिखा —

“कुछ खामोशियाँ सवाल नहीं होतीं,
वो खुद अपने अंदर सारे जवाब समेटे होती हैं।
बस दिल से सुनना पड़ता है — वो शब्द नहीं बोलतीं, एहसास बनकर उतरती हैं।
शायद आज, उसकी उस खामोश नज़र ने वो सब कह दिया,
जिसका इंतज़ार मेरे दिल को कब से था…”

To Be Continued…

क्या ये खामोशियाँ अब अपने भीतर छुपे अनकहे जज़्बातों को इज़हार में बदल पाएँगी,
या वक्त की चाल फिर इन एहसासों को किसी मोड़ पर अधूरा छोड़ देगी,
जहाँ सिर्फ़ नज़रें और खामोशियाँ ही एक-दूसरे से कुछ कह पाएँगी,
पर दिल की पूरी कहानी अधूरी ही रह जाएगी?
शायद आने वाला हर पल ही इस रहस्य का जवाब देगा…