Hukm aur Hasrat - 13 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | हुक्म और हसरत - 13

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हुक्म और हसरत - 13

🌷🌷हुक्म और हसरत 🌷🌷
#Arsia

♥️अब तक आपने देखा:~🤌

मुंबई 

स्पॉटलाइट दरवाज़े पर पड़ी — और वहाँ से एक लंबा, सधी चाल में चलता पुरुष मंच की ओर बढ़ा।
उसने ब्लैक हाई-कॉलर टक्सीडो पहना था,
चेहरे पर ब्लैक मास्क और आँखों पर डार्क सनग्लासेस।
लेकिन उसका व्यक्तित्व ऐसा था कि किसी को उसका चेहरा देखने की ज़रूरत ही नहीं थी।😌😌



बिलकुल फिट, चौड़े कंधे, मस्कुलर बॉडी…
हर कदम पर जैसे शक्ति और नियंत्रण बह रहा हो।🤌♥️

उसके बाल काले, हल्के से स्लीक बैक, गले में सोबर क्लासिक घड़ी, और जूते क्राफ्टेड मिलानी लदर।

बगल की लड़कियाँ फुसफुसा रही थीं —

“ओह माय गोड ! देखो उसका कंधा… ये तो बिलकुल किसी आर्मी अफसर जैसा लग रहा है।”🤔♥️

“मैं शर्त लगाती हूँ ये कभी मॉडल रहा होगा… लुक एट हिज जोलाइन!”
“उफ्फ़, उसका चलना… वो कोई आदमी नहीं, आग है!”

और फिर जब मिस्टर S. ने अवॉर्ड लिया,
मंच से सिर्फ़ चार शब्द बोले —

“लेट द वर्क स्पीक!”🙌

बस…😑

कोई लंबी स्पीच नहीं, कोई मुस्कान नहीं —
फिर भी वो शख़्स सबके दिल में उतर गया।😐❤️💗

💗💗अब आगे:~💗

कैमरा जब उसकी उंगलियों पर ज़ूम करता —
तो घाव के पुराने निशान, वेन की परतें और बर्फ़-सी मजबूती साफ दिखती।
**

राजमहल के लिविंग हॉल में जब टीवी पर दोबारा अवॉर्ड सेरेमनी की क्लिप दिखाई जा रही थी,
काव्या उछलती हुई आई,रोशनी के साथ।

“दीदी! आपने देखा वो मिस्टर S.?😯
मैं तो फुल-टाइम उनकी फैन बन चुकी हूँ!”रोशनी ने कह।

सिया ने हल्की मुस्कान से कहा —

“इतना क्या खास था उसमें?”🤔

काव्या का चेहरा चमक उठा —😩

“क्या खास था?
उसकी चाल… उसका आत्मविश्वास…
और उस मास्क के पीछे जो चुप्पी थी ना… वो हर शब्द से ज़्यादा बोल रही थी!”🤌🙂

“सिर्फ़ 32 साल की उम्र में इतना बड़ा एम्पायर खड़ा करना… वो भी बिना एक इंटरव्यू के…
"थैंट इज कॉल्ड फायर, मैम!”🔥🔥

सिया चुपचाप उसे देख रही थी।

जब काव्या बाहर गई, सिया ने टीवी की ओर देखा।

मिस्टर S. मंच पर खड़ा था —
शरीर में वही कसी हुई मांसपेशियाँ…
वो चुप रहकर भी सब कह देने वाला स्टाइल…
कुछ तो जाना-पहचाना लग रहा था।😌

पर सिया ठिठकी।

“ये आँखें… ये ठहराव…
ये तो...!"✨🤔
उसने तुरंत सिर झटक दिया।

पर दिल कुछ और कह रहा था।

“फिर भी… काश वो मास्क उतरता।”😯

उस रात सिया की नींद कम और सवाल ज़्यादा थे।
**
सुबह की हल्की सी धूप सिया के कमरे में झाँक रही थी,
और उसी वक्त अर्जुन ने अपनी सादी सी वर्दी में आखिरी बार पलटकर महल को देखा।

“मैं कुछ दिन के लिए जा रहा हूँ,”😐
उसने राजा साहब को सूचना दी।

“कहां?” सिया ने पूछा नहीं — वो जानती थी, पूछने का हक़ नहीं है।

राजमहल में सबको यही बताया गया —
“अर्जुन एक सुरक्षा मिशन पर भेजा गया है।”
“मुझे कुछ दिन के लिए बाहर जाना होगा,” अर्जुन ने सिया से कहा था।

उसके शब्द सीधे थे, चेहरा हमेशा की तरह भावहीन।

“सिक्योरिटी मिशन है,” उसने बस इतना ही कहा।😐

उसने चुपचाप ब्लैक सूट पहना,
पासपोर्ट, कॉन्ट्रैक्ट फाइल्स, और एक चुप्पी जो सिर्फ़ सिया को देखती थी।

सिया कुछ पूछना चाहती थी,
पर उसने सिर्फ़ एक हल्की सी मुस्कान दी… और सिर हिलाया।☺️

“ठीक है। जल्दी लौटना…”🥺
**
अर्जुन की गैरमौजूदगी में, एक नई बॉडीगार्ड को नियुक्त किया गया —
"राधिका शेखावत", पूर्व आर्मी अफसर, और अब स्पेशल सिक्योरिटी विंग से।

वो तेज़ थी, प्रोफेशनल, और बिल्कुल नियमबद्ध।

“मुझे किसी की नज़रों की आदत थी…
और अब वो नज़रों का साया ही बदल गया,”
सिया ने खुद से कहा।

राधिका ने हर काम नियम से किया —
पर सिया के दिल में एक खाली जगह रह गई थी —
जिसे अर्जुन की खामोश मौजूदगी ही भर सकती थी।

अर्जुन के जाने के बाद सिया को पहली बार ख़ामोशी चुभी थी।

महल वही था। दिन वही, रसोई वही, स्टाफ वही…
पर कोई पूछने वाला नहीं था —
"क्या आज खाना खाया?"😩

कोई दरवाज़े पर नहीं था —
जब वो देर रात बालकनी में अकेली बैठी होती।😩

उसने महसूस किया —
वो उसे देखना ही नहीं… जीना भी उसके साथ सीख चुकी थी।

कभी-कभी उसकी आवाज़ कमरे में गूंजती थी —
और सिया पलटकर देखती… पर वो वहाँ नहीं होता।

“तुम कहाँ चले गए अर्जुन?”
“क्यों हर जगह तुम ही क्यों हो…?”🥺🥺

सिया को एक गुप्त लिफ़ाफ़ा मिला —
अंदर एक इटली पियानो फेस्टिवल 2025 का इन्विटेशन।✨

उसका नाम उसमें शामिल था —
"प्रिंसेज सिया राठौर – ऑनरेरी इंटरनेशनल परफॉर्मर"✨❤️✨

उसका दिल धड़क उठा।💓

पर उसी पल उसके पिता की आवाज़ गूंजने लगी —

“पियानो एक खेल है, राजकुमारी। जीवन नहीं।”

वो चाहती थी जाना,
पर अब भी वो डरती थी…
कि अगर उसने एक बार सुरों का हाथ थामा, तो सब कुछ पीछे छूट जाएगा।

“काश… तुम होते अर्जुन… मुझे बस एक बार कह देते — जाओ, मैं हूँ।”😁

रात के वक्त महल की छत पर काव्या अकेली बैठी थी —
हाथ में कॉफी का कप, आँखों में कुछ अधूरा।

विवेक फिर से आया।
इस बार उसके हाथ खाली थे — पर आँखें भारी।

“आज कॉफी नहीं लाए?”
“आज मैं कुछ और लाया हूँ…”
उसने एक पुराना पोस्टकार्ड दिया।

“ये मेरे पापा ने भेजा था — आखिरी बार, जब मैं 15 साल का था।
फिर वो युद्ध में नहीं लौटे।”

काव्या ने नज़रें झुका लीं।

“शायद हम दोनों ही अपनी-अपनी अधूरी कहानियों से भागते रहते हैं।”

“या शायद… किसी को सुनाने का हौसला नहीं होता।”

रात के 11 बजे, सिया के फोन पर अर्जुन का मैसेज आया —

“होप यू आर सेफ. लेट मे नो इफ यू नीड एनीथिंग!.”🤌🎀
फोन की स्क्रीन एक मेसेज से चमकी।

सिया ने कुछ नहीं लिखा।
बस फोन को सीने से लगाकर आँखे मूँद लीं।♥️🥺

“तुम होते तो कहती — ज़रूरत सिर्फ़ तुम्हारी है।”🎀

उसने अपनी अलमारी खोली —
अंदर अर्जुन की काली जैकेट रखी थी,
जो उसने उसे उस रात ओढ़ा दी थी… जब जंगल में वो बेसुध मिली थी।

उसने जैकेट को बाहर निकाला —
धीरे से अपने सीने से लगाया।

“तुमने कभी कुछ नहीं कहा, अर्जुन…
लेकिन ये जैकेट अब मेरी साँसों की परत बन गई है।”

वो उसके कॉलर को छूती रही,
जैसे उँगलियों से अर्जुन की गर्दन को महसूस करना चाहती हो।

“तुम्हारी खामोशी भी अब शोर करने लगी है…”
“कब लौटोगे?”🥺


और उसी पल…
टीवी स्क्रीन पर एक फ़्लैश ब्रेकिंग न्यूज़ चली —
"इटली में इंटरनेशनल डील मीट में ब्लैक मास्क मैन की एंट्री, मीडिया में मचा हड़कंप!"✨❤️✨


सिया की उंगलियाँ ठिठक गईं।
उसने रिमोट उठाया…
पर तभी .....
..............स्क्रीन ब्लैक हो गई।

जारी(...)✨


---

"वो दूर था… पर उसकी कमी इतनी पास थी,
कि साँसें भी अब उसकी इजाज़त से चलती थीं।”✨♥️♥️

क्या अर्जुन ही मिस्टर S. है?🤔
क्या सिया इटली जाएगी?


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